दीपावली पर जानलेवा हो सकती रंगीन मिठाई, बता रहे गया के अफसर; ये सारी चीजें मिली होती इसमें
खाद्य संरक्षा के अभिहित पदाधिकारी मुकेश कश्यप बताते है कि मिठाई में सनसेट एलो सेट्राजिन और पास्ट ग्रीन का उपयोग होता है। लेकिन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले मिठाई में मेटालिन एलो का प्रयोग होता है। यानि उसे कहे कि पीला या औरेंज रंग।
जागरण संवाददाता, गया। दीपावली या फिर आम दिन अगर मिठाई खरीदने जा रहे हैं। रंगीन मिठाई नहीं खरीदें। रंगीन मिठाई को खाने से बचे। आप अगर स्वस्थ्य रहना चाहते हैं, तो कभी भी भूलकर रंगीन मिठाई का उपयोग नहीं करें। सबसे अच्छा होगा कि त्योहार के मौके पर सादा मिठाई यानि बिना रंग की बनी मिठाई का उपयोग करें, तभी आप और परिवार स्वस्थ्य रह पाएंगे। कोशिश करें कि त्योहार के मौके पर छेना, खोवा की बनी मिठाई का उपयोग ना करें। इसके स्थान पर उड़द, वेंशन व मैदा की बनी मिठाई का सेवन करें।
रंगीन मिठाई की कैसे करें जांच
खाद्य संरक्षा के अभिहित पदाधिकारी मुकेश कश्यप बताते है कि मिठाई में सनसेट एलो, सेट्राजिन और पास्ट ग्रीन का उपयोग होता है। लेकिन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाले मिठाई में मेटालिन एलो का प्रयोग होता है। यानि उसे कहे कि पीला या औरेंज रंग। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने बताया कि रंगीन मिठाई की जांच करने का बहुत ही सरल तरीका है, जिसे कोई व्यक्ति आसानी से जांच कर सकता है। कोई भी रंगीन मिठाई को कांच के बर्तन में रखे। उस मिठाई पर एचसीएल यानि हाईड्राक्लोरिक एसिड का पांच से 10 ग्राम डाले। कुछ समय के बाद पुन: मिठाई पर सादा पानी डाले। पानी डालने के उपरांत मिठाई का जिस रंग में था। अगर मिठाई उसी रंग में रह जाता है, तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित फूड कलर का उपयोग हुआ है। वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, लेकिन अगर पानी डालने के बाद कलर छूटता है, तो वह मिठाई स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
नन कलर उपयोग करने पर होगी कार्रवाई
उन्होंने बताया कि ऐसे तो साल भर मिठाई की जांच कराई जाती है। लेकिन त्योहार को लेकर इस वर्ष भी जांच कराई जाएगी। अगर मिठाई में नन कलर का उपयोग होता है। वैसे दुकानदारों पर कानूनी कार्रवाई करने और दंड का भी प्रविधान है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 9 फूड कलर उपयोग करने की अनुमति दी गई है। इसमें सनसेट एलो, सेट्राजिन व पास्ट ग्रीन आदि शामिल है।