महाबोधि मंदिर में इस बार भी धार्मिक आयोजनों पर मंडरा रहे संशय के बादल

अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया में पर्यटन मौसम का आगाज अगस्त माह में श्रीलंकाई बौद्ध श्रद्धालुओं के आगमन के साथ होता है। जो फरवरी माह तक चलता है। कोविड को लेकर धार्मिक आयोजन पर इस वर्ष भी संशय की स्थिति है।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 08:45 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 08:45 AM (IST)
महाबोधि मंदिर में इस बार भी धार्मिक आयोजनों पर मंडरा रहे संशय के बादल
विभिन्न देशों के बौद्ध मंदिरों का पट अनिश्चितकालीन बंद, महाबोधि मंदिर की तस्‍वीर।

बोधगया , जागरण संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया में पर्यटन मौसम का आगाज अगस्त माह में श्रीलंकाई बौद्ध श्रद्धालुओं के आगमन के साथ होता है। जो फरवरी माह तक चलता है। इस दौरान विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर सहित विदेशी बौद्ध मोनास्ट्री में कई धार्मिक कृत्यों का आयोजन होता है। जिसमें काफी संख्या में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराने के लिए विदेशों से बौद्ध श्रद्धालुओं का आगमन बोधगया होता है। वैसे, महाबोधि मंदिर में आयोजित होने वाले धार्मिक कृत्यों की एक सूची प्रबंधकारिणी समिति द्वारा जारी किया जाता है। जिसमें धार्मिक कृत्य के आयोजन की तिथि और आयोजक का नाम, संपर्क नंबर और मंदिर के किस हिस्से में होगा। यह दर्ज होता है। जो कोरोना को लेकर जारी नहीं किया जा रहा। कोविड को लेकर सरकार के आदेश पर महाबोधि मंदिर से लेकर विभिन्न देशों के बौद्ध मंदिरों का पट अनिश्चितकालीन बंद है। ऐसे में धार्मिक कृत्यों के आयोजन पर इस वर्ष भी संशय की स्थिति बनी हुई है।

पर्यटन मौसम का सभी को होता इंतजार

पर्यटन मौसम का इंतजार बोधगया में हर वर्ग के व्यवसायी को होता है। चाहे वो होटल-गेस्ट हाउस से जुड़े हो या फिर फल या राशन के व्यवसायी हो। महाबोधि मंदिर में धार्मिक कृत्य के आयोजन होने से किसी को प्रत्यक्ष तो किसी को परोक्ष रूप से फायदा होता है। इसलिए कहा जाता है कि पर्यटन व्यवसाय की रीढ बोधगया आने वाले पर्यटक होते हैँ।

किसी ने नहीं किया संपर्क

महाबोधि मंदिर में धार्मिक कृत्यों के आयोजन के लिए आयोजक को मंदिर प्रबंधकारिणी समिति से संपर्क करना होता है। समिति द्वारा सहमति प्रदान करने के पश्चात ही पूजा आदि का आयोजन संभव हो पाता है। लेकिन जुलाई माह समाप्त होने को है। धार्मिक कृत्यों के आयोजन के लिए किसी भी बौद्ध संगठन ने समिति से संपर्क नहीं किया है। समिति सूत्र बताते हैं कि कोरोना का संभावित तीसरे लहर के कारण हर कोई सचेत रहना चाहता है। यहीं कारण है कि किसी भी बौद्ध संगठन ने पूजा आदि के आयोजन के लिए संपर्क नहीं किया है।

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