औरंगाबाद सदर अस्पताल में दवा के लिए तड़प रहे बच्चे, वायरल बुखार के जद में आए ज्‍यादातर मासूम

मरीजों के स्‍वजनों ने कहा कि हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि बाहर से दवा खरीद सकें। जब जागरण टीम ने दवा बांट रहे कर्मियों से बात किया तो उसने बताया कि यहां बच्चा के लिए बुखार खांसी एवं सर्दी का सिरप नहीं है। एक सप्ताह से खत्म है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 05:38 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 05:38 PM (IST)
औरंगाबाद सदर अस्पताल में दवा के लिए तड़प रहे बच्चे, वायरल बुखार के जद में आए ज्‍यादातर मासूम
बच्‍चे का बुखार नापती महिला। सांकेतिक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। मौसम बदलने के साथ बच्चों में वायरल का खतरा बढऩे लगा है। अस्पताल के शिशु रोग विभाग में इलाज के लिए पहुंच रहे बच्चों को तेज बुखार के साथ ठंड की शिकायत है। लगातार दवा करने के बाद भी कभी कभी बच्चों का बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बता दें कि सदर अस्पताल में बच्चों का इलाज तो हो रहा है परंतु उन्हें दवा नहीं मिल रही है। दवा के लिए बच्चे तड़प रहे हैं परंतु उनको कोई सुनने वाला नहीं है। सभी अधिकारी मौन साधे हुए हैं। अधिकारियों की यह लापरवाही बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है।

बाहर से खरीद रहे दवा

चिकित्सक बच्चों को अधिकतर टैबलेट की जगह सिरप देने की सलाह देते हैं। ऐसी स्थिति में सदर अस्पताल में सिरप नहीं मिलना चिंता की विषय है। देव प्रखंड के बालूगंज निवासी अजय भुइयां की पत्नी सुभावती देवी अपने डेढ़ वर्षीय पुत्र को लेकर सदर अस्पताल पहुंची थी। बच्चे को तेज बुखार था। चिकित्सक से दिखवाने के बाद सिरप लिखे। जब वो दवा काउंटर पर पहुंची तो कर्मियों के द्वारा बताया गया कि यहां दवा नहीं है, बाहर से लेना होगा। सुभावती ने बताया कि हम गरीब हैं।

किसी तरह किराया का उपाय कर यहां इलाज के लिए पहुंचे परंतु दवा नहीं मिला। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि बाहर से दवा खरीद सकें। जब जागरण टीम ने दवा बांट रहे कर्मियों से बात किया तो उसने बताया कि यहां बच्चा के लिए बुखार, खांसी एवं सर्दी का सिरप नहीं है। एक सप्ताह से खत्म है। वरीय अधिकारियों को इसकी सूचना दे दी गई है।

84 में से 56 बच्चे बुखार से पीडि़त

शिशु वार्ड में बच्चों का इलाज कर रहे चिकित्सक डा. इस्तीफा हेलाल ने बताया कि मैंने शनिवार को 84 बच्चों का इलाज किया जिसमें 56 बच्चे बुखार, खांसी एवं सर्दी से पीड़ित थे। कुछ बच्चों को मैंने जांच के लिए भेजा है। अब बच्चों में ऑक्सीजन की कमी देखा जा रही है जो ङ्क्षचताजनक है। अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति विशेष ख्याल रखना पड़ेगा। अगर अभिभावक लापरवाही करते हैं तो स्थिति खतरनाक भी हो सकती है।

बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे अभिभावक

कोरोना काल में बच्चों पर डबल खतरा मंडरा रहा है। कोरोना के डर के बीच वायरल  बुखार ने लोगों की ङ्क्षचता बढ़ा दिया है। बच्चों के माता-पिता के डर को स्कूलों ने और बढ़ा दिया है। अभिभावक भी इस दुविधा में हैं कि बच्चों को स्कूल भेजे या नहीं। इन दिनों जिस तरह से वायरल बुखार बढ़ रहा है इससे अभिभावक काफी डर गए हैं। स्थिति यह है कि अब ज्यादातर अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में हिचक रहे हैं।

सिविल सर्जन को नहीं है जानकारी

बच्चों को दवा न मिलने के सवाल पर सीएस डा. कुमार वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि हमें इस संबंध में जानकारी नहीं है। अगर बच्चों की दवा नहीं है तो उपलब्ध कराया जाएगा। मामले की जानकारी ली जा रही है। दवा किस कारण से नहीं है इसकी जानकारी लेंगे। हर हाल में बच्चों की दवा उपलब्ध कराया जाएगा।

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