गृहवार सर्वेक्षण कर विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों की होगी पहचान

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विद्यालय से बाहर रहने वाले सभी बच्चों का सर्वेक्षण किया जाना है। सर्वेक्षण का उद्देश्य 6 से 18 आयु वर्ग के विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों की पहचान कर उनका उम्र के सापेक्ष कक्षा में नामांकन कराना है।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 03:50 PM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 03:50 PM (IST)
गृहवार सर्वेक्षण कर विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों की होगी पहचान
सर्वेक्षण में 6 से 18 आयु वर्ग के विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों की होगी पहचान,सांकेतिक तस्‍वीर।

भभुआ, जागरण संवाददाता। स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की पहचान अब शिक्षक अपने अपने पोषक क्षेत्र में करेंगे। सरकार ऐसे बच्चों की पहचान सर्वे कराकर करेगी। जिसकी जिम्मेदारी शिक्षकों को दे दी गई है। जिन बच्चों की उम्र 6 से 18 आयु वर्ग के बीच है और वे विद्यालय से बाहर हैं तो उनको चिह्नित किया जाएगा। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत विद्यालय से बाहर रहने वाले सभी बच्चों का सर्वेक्षण किया जाना है। सर्वेक्षण का उद्देश्य 6 से 18 आयु वर्ग के विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों की पहचान कर उनका उम्र के सापेक्ष कक्षा में नामांकन कराना है।

बता दें कि निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2010 के तहत 6 से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। इसके बाद भी कई बच्चे अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों की पहचान के लिए सरकार अब गृहवार सर्वेक्षण कराएगी ।

 विद्यालय स्तर पर गठित होगी हेल्प डेस्क

इस संबंध में सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी ललित विश्वकर्मा ने बताया कि विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों के सर्वेक्षण के लिए विद्यालय के प्रधान शिक्षक द्वारा विद्यालय स्तर पर हेल्प डेस्क का गठन किया जाएगा। इसके लिए सबसे युवा शिक्षक शिक्षिका को मॉडल के रूप में नामित किया जाना है। इसके बारे में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि हेल्प डेस्क के लिए नामित नोडल का पहला कार्य होगा कि अपने मतदाता सूची को संबंधित बूथ स्तरीय पदाधिकारी से प्राप्त कर उसके आधार पर निर्धारित अवधि में हेल्प डेस्क में आकर विद्यालय से बाहर के बच्चों की सूचना निर्धारित देना। साथ ही विद्यालय की बाल पंजी में दर्ज आंकड़ों का उपयोग भी सर्वेक्षण कार्य को सुगम बनाने और किसी बच्चे की जानकारी मिल सके इसके लिए भी किया जाए। निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2010 के अंतर्गत आने वाले 6 से 14 वर्ष के बच्चे शिक्षा से वंचित नहीं रहे। इस आयु वर्ग के बच्चों को चिह्नित कर विद्यालय भेजा जाएगा और उनकी उम्र के सापेक्ष कक्षाओं में उनका नामांकन कराया जाएगा।

chat bot
आपका साथी