सर्दी-खांसी, तेज बुखार और दम फूलने की बच्‍चों में मिल रही शिकायतें, गया के अस्‍पातल का बेड फुल

वायरल बुखार का असर गया जिले में भी देखने को मिल रहा है। सर्दी-खांसी तेज बुखार दम फूलना निमोनिया जैसी शिकायतें हैं। इसकी तस्दीक मगध मेडिकल अस्पताल का शिशु वार्ड कर रहा है। शिशु वार्ड में कुल 71 में 47 बेड पर बच्चे भर्ती हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 04:32 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 04:32 PM (IST)
सर्दी-खांसी, तेज बुखार और दम फूलने की बच्‍चों में मिल रही शिकायतें, गया के अस्‍पातल का बेड फुल
अस्‍पताल में भर्ती बच्‍चे का इलाज करते डॉक्‍टर। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, गया। वायरल बुखार का असर गया जिले में भी देखने को मिल रहा है। सर्दी-खांसी, तेज बुखार, दम फूलना, निमोनिया जैसी शिकायतें हैं। इसकी तस्दीक मगध मेडिकल अस्पताल का शिशु वार्ड कर रहा है। शिशु वार्ड में कुल 71 में 47 बेड पर बच्चे भर्ती हैं। जनरल वार्ड के 37 में से 26 बेड फुल हैं। वहीं, आइसीयू के 34 में से 21 बेड फुल हैं। इधर, शहर के निजी नर्सिंग होम में बीमार बच्चों की भीड़ देखी जा रही है। शहर के चिकित्सक डा. नंदकिशोर गुप्ता बताते हैं, कुछ मामले वायरल निमोनिया के भी आ रहे हैं। वह अभिभावक को जागरूक रहने पर जोर देते हैं। बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी परेशान हैं। पांच से छह दिन में भी बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पा रही है।

सर्दी-जुकाम व बुखार ने 15 दिनों में पसारा है पांव

बीते 15 दिनों में शहर से लेकर गांव-कस्बों में सर्दी-जुकाम व बुखार ने अपने पांव तेजी से पसारा है। एक माह से लेकर 4 साल, 8 साल, 10 साल हर उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। वायरल बुखार कम उम्र के बच्चों को ज्यादा तकलीफ बढ़ा रहा है। दो माह, चार माह के बच्चों की पसली तेज चलने, बेचैनी जैसी शिकायत भी देखने को मिल रही है।

मेडिसिन की ओपीडी में बड़े-बुजुर्गाे का चल रहा इलाज

-मेडिकल अस्पताल की ओपीडी सुबह 8 बजे से शुरू होकर दोपहर 2 बजे तक चलती है। हर दिन औसतन 700 से 800 मरीज पहुंच रहे हैं। बुधवार को दोपहर साढ़े 12 बजे तक रजिस्ट्रेशन काउंटर पर 538 लोगों ने नया पुर्जा कटवाया। वायरल बुखार का असर मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओपीडी में दिखता है। बड़े-बुजुर्ग, महिलाएं, युवा यहां इलाज के लिए पहुंचे हैं।  चिकित्सक डा. शैलेष पाठक बारी-बारी से मरीजों के पुर्जे पर दवा लिख रहे हैं। वार्ड की नर्स एक बजे तक 113 नया मरीज, 32 पुराना व 10 टीबी चेस्ट के मरीजों का इलाज होने की जानकारी देती हैं। मेडिसिन में चिकित्सक के दो कक्ष खाली दिखे।

हर मां को है अपने लाडले की फिक्र

हर मां इन दिनों अपने लाडले की सेहत को लेकर फिक्रमंद है। मगध मेडिकल अस्पताल के शिशु वार्ड में कोंच के मठिया गांव की खुशबु कुमारी नौ माह के बेटे सार्थक को लेकर भर्ती हैं। सार्थक बीते एक सप्ताह से बुखार से पीडि़त है। मोहनपुर के मटिहानी गांव के अखिलेश कुमार का तीन माह का बच्चा खांसी व हफनी से परेशान है। उसका इलाज हो रहा है। वह इलाज के लिए बाहर से लाई एक दवा को दिखाते हैं। वैसे अस्पताल के इलाज से वह संतुष्ट हैं। अलीपुर थाना के हरिशपुरा गांव की कांति देवी 8 साल के शैलेंद्र को लेकर एक सप्ताह से भर्ती हैं। पेशाब की तकलीफ थी, फिलहाल वह ठीक हैं। कई और परिवार भी अपने बच्चे का इलाज कराने को लेकर मेडिकल पहुंची हैं। वह पूछती हैं कि उनका बच्चा कब तक ठीक हो जाएगा।

बच्चों की सेहत को लेकर चौकसी जरूरी : डा. रविंद्र

मेडिकल अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डा. रविंद्र कुमार बच्चों की सेहत को लेकर चौकसी बरतने की सलाह देते हैं। बच्चे को यदि दो दिन से अधिक बुखार रह रहा है, तकलीफ बढ़ रही है, पसली तेज चल रही है तो बिना देर किए अच्छे डाक्टर से इलाज करवाएं। सामान्य बुखार दो से तीन दिन में ठीक हो जाता है। बीमारी में भी बच्चे को नियमित स्तनपान कराएं।

वायरल बुखार के लक्षण

तेज बुखार, नाक बहना, खांसी, दम फूलना, शरीर में दर्द, सिर में दर्द

बरतें ये सावधानी खांसते, छींकते वक्त नाक-मुंह पर रूमाल या कपड़ा रखें पांच साल से ऊपर के बच्चे, बड़े सभी मास्क पहनकर रहें छोटे बच्चों का नाक, गंदगी अच्छी तरह से साफ करें। हाथ को साबुन से जरूर धोएं घर में साफ-सफाई का बहुत ख्याल रखें बड़ों का संक्रमण छोटे बच्चों को आसानी से बीमार करता है

मेडिकल में किस तारीख को कितने बच्चे पहुंचे ओपीडी में

तारीख     ओपीडी में बच्चे

एक सितंबर-  78

दो सितंबर-   69

तीन सितंबर-  64

चार सितंबर- 48

छह सितंबर-  87

सात सितंबर-  64

आठ सितंबर-  49

शिशु वार्ड में बेड की स्थिति

कुल बेड- भर्ती

जनरल 37-   26

आइसीयू-34-  21

क्या कहते हैं अधिकारी

मगध मेडिकल अस्‍पताल के अधीक्षक डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि अभी वायरल बुखार का सीजन है। हाल के दिनों में कुछ मरीज बढ़े हैं। बच्चों से लेकर बड़ों के इलाज की समुचित व्यवस्था है। शिशु वार्ड में यदि बेड फुल हो जाते हैं तो एमसीएच भवन 100 बेड के साथ तैयार हैं। जरूरत पर वहां भी बीमार बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाएगा।

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