मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2013 में की थी घोषणा, लेकिन बौद्ध सर्किट से आज तक नहीं जुड़ पाया भूरहा
भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद भूरहा का भ्रमण किया था। यह स्थल भगवान राम एवं सीता से भी जुड़ा हुआ है। लेकिन आज तक इस स्थल का विकास नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बौद्ध सर्किट के रूप में इसके विकास की घोषणा की थी।
संवाद सूत्र, गुरुआ (गया)। जिले के गुरुआ प्रखंड कार्यालय से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित दुर्वासा नगर भूरहा अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े इस स्थल को बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित करना था। लेकिन घोषणाओं के अनुरूप ऐसा कुछ नहीं हो सका।
भगवान बुद्ध ने किया था भूरहा धम का भ्रमण
कहा जाता है कि बोधगया में ज्ञान प्राप्ित के बाद सारनाथ जाने के क्रम में भगवान बुद्ध का रात्रि विश्राम गुनेरी में हुआ था। उसके बाद भगवान बुद्ध ने भूरहा धाम का भ्रमण कर दुब्बा गढ़ पर प्रवचन कर बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। मान्यता तो यह भी है कि भूरहा धाम पर गया श्राद्ध के लिए बनारस से विष्णुपद आने के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण एवं सीताजी ने भी रात्रि विश्राम कर भूरहा का भ्रमण किया था। इसलिए रामायण व महाभारत में भी भूरहा धाम की चर्चा की बात कही जाती है।
भूरहा में स्थित प्राचीन तालाब।
मुख्यमंत्री ने 2013 में की थी घोषणा
भूरहा के विकास के लिए भूरहा महोत्सव समिति करीब एक दशक से काम कर रही है। समिति के आग्रह पर 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं तत्कालीन पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने पर्यटन विभाग के आला अधिकारियों के साथ भ्रमण कर भूरहा धाम का विकास बौद्ध सर्किट के रूप में करने का आश्वासन दिया था। तब ग्रामीणों में हर्ष का माहौल था। लेकिन आठ साल बीत जाने के बाद भी भूरहा धाम का विकास बौद्ध सर्किट के रूप् में नहीं हुआ है। गुरुआ-भरैधा सड़क में भुरहा के समीप बना पुल काफी क्षतिग्रस्त हो गया है। इससे आने-जाने में यात्री काफी भय महसूस करते हैं। गाड़ी पार कराते समय तो वाहन चालकों को भी हादसे की आशंका बनी रहती है। चूंकि इस सड़क पर काफी ज्यादा आवाजाही होती है। गुरुआ से भरैधा, आमस, जीटी रोड व रफीगंज की दूरी कम हो जाती है।
भूरहा में भगवान बुद्ध की प्रतिमा।