Bihar Panchayat Chunav: रोहतास में चौक-चौराहे पर सजने लगी चौपाल, संबंधों की दी जा रही दुहाई
पंचायत चुनाव में अभी समय है लेकिन गांव की राजनीति में अभी से गरमाहट आ गई है। भावी प्रत्याशी सक्रिय हो गए हैं। लोगों के सुख-दुख में शामिल हो रहे हैं। पुराने संबंधों का हवाला दिया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। बिहार पंचायत चुनाव 2021 को लेकर भावी प्रत्याशी अपनी- अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। गांव के चौक-चौराहे सुबह से शाम तक गुलजार रहने लगे हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग आम-अवाम से दुआ-सलाम करने लगे हैं। कभी-कभार नजर आने वाले पिछली बार के निर्वाचित प्रतिनिधि भी हाथ जोड़े नजर आने लगे हैं। चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता भी दिखने लगी है।
रोहतास जिले की 245 पंचायतों पर राजनीतिक दलों की नजर
वैसे तो पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं लड़ा जाएगा, लेकिन राजनीतिक दल अपनी पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं को पंचायत चुनाव में मदद देने का मन बना चुके हैं। रोहतास जिले में 2072 गांव हैं जबकि ग्राम पंचायतों की संख्या 245 है। ऐसे में राजनीतिक दलों की नजरें पंचायत के चुनाव पर गड़ी हैं। अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाने का प्रयास, दलों में हो रहा है।इधर कई लोग अभी से रोटी सेंकने लगे हैं। भावी उम्मीदवारों को उनके समाज का वोट दिलाने का प्रलोभन दे रहे हैं।
भाजपा के अधिवक्ताओं की टीम करेगी प्रत्याशियों की मदद
इन सबके बीच पंचायत चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई हैं । इस बार का पंचायत चुनाव खुले रुप में न सही, लेकिन अंदर-अंदर सियासी दलों की राजनीति का बड़ा अखाड़ा बनने जा रहा है। दो दिन पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा है कि जिला स्तर पर अधिवक्ताओं की टीम गठित की जानी चाहिए, ताकि आने वाले बिहार पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों को सहयोग प्रदान किया जा सके। उन्होंने बीजेपी के चुनाव आयोग सेल से जुड़े अधिवक्ताओं को भी सुझाव दिया कि पंचायती कानून का बारीकी से अध्ययन करें और गाइडलाइंस की जानकारी रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर कानूनी सहयोग दिया जा सके।
हाथ जोड़े नजर आते हैं नेताजी
गांव में किसी न किसी बहाने से पार्टी नेताओं ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, इससे सूबे की सियासी तपिश बढ़ने लगी है। चुनाव को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में सक्रिय भावी प्रत्याशी व उनके समर्थक डोर टू डोर संपर्क कर रहे हैं। लोगों के बीच इस बात की चर्चा भी होने लगी है कि कल तक जो सीधे मुंह बात नहीं करते थे, आज महज वोट के लिए पुराने संबंधों की दुहाई देने लगे हैं। हालांकि चुनाव में सफलता कैसे मिलेगी, इस जुगत में सभी लगे हुए हैं, लेकिन गांव के चौपालों पर मौसम के साथ साथ चुनावी चर्चा का बाजार भी गरमाने लगा है।