कोविशील्ड टीकाकरण से लेकर मरीजों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की चुनौतीः सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. कमल किशोर राय ने कहा कि बीते साल कोरोना संकट में हर किसी की स्वास्थ्य महकमा से उम्मीदें बंधी। चिकित्सा पदाधिकारियों से लेकर डॉक्टर समेत तमाम स्वास्थ्य कर्मियों ने जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने का भी काम किया।
जागरण टीम, गया। बीते साल कोरोना संकट में हर किसी की स्वास्थ्य महकमा से उम्मीदें बंधी। चिकित्सा पदाधिकारियों से लेकर डॉक्टर समेत तमाम स्वास्थ्य कर्मियों ने जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने का भी काम किया। इस बीच स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े कई कार्यक्रमों को कुछ महीनों के लिए टालना पड़ा। अब उन स्वास्थ्य कार्यक्रमों, योजनाओं को दोबारा से पटरी पर लाने की कोशिश शुरू हो गई है। नए साल में स्वास्थ्य योजनाओं को गति देने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। जिलेवासियों को कोरोना से निजात दिलाने के लिए टीकाकरण अभियान जारी है। जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को और किस तरह से बेहतर बनाया जाएगा? इन सारे विषयों पर सिविल सर्जन डॉ. कमल किशोर राय से संवाददाता विनय कुमार पांडेय ने बातचीत की। इसके प्रमुख अंश इस प्रकार हैं।
साल 2020 स्वास्थ्य महकमा के लिए काफी चुनौतियों भरा रहा। नए साल में किस तरह की तैयारी है?
-स्वास्थ्य महकमा ने कोरोना संकट काल के दौर की जो भी चुनौतियां थी उसका डटकर मुकाबला किया। प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े तमाम कर्मियों ने अपना योगदान दिया। गया जिले में अब सभी पीएचसी स्तर तक कोरोना से बचाव के लिए कोविशील्ड का टीकाकरण होना है। नए साल में कोरोना टीकाकरण को अच्छी तरह से निभाने के साथ ही स्वास्थ्य योजनाओं को भी गति दी जा रही है।
गया जिले में स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में क्या-क्या दिक्कते हैं?
जो भी थोड़ी बहुत दिक्कत है वह चिकित्सकों की व दूसरे स्टाफ की कमी है। इसे भी दूर करने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। पिछले साल जिले को कई बेहतरीन चिकित्सक मिले। जो इन दिनों विशेषज्ञ प्रशिक्षण के लिए गए हुए हैं। उम्मीद है कि वह सभी विशेषज्ञ चिकित्सक जल्द ही जिले में अपना योगदान भी देंगे। अन्य पदों पर भी बहाली हो रही है।
गया जिले में कितने नए अस्पताल बनाए जाने हैं, उनकी मौजूदा स्थिति क्या है?
ग्रामीण इलाकों में प्रसव सुविधा को और बेहतर बनाने के लिए 42 एलवन सेंटर बनाए जा रहे हैं। इनपर काम तेजी से चल रहा है। 20 सेंटर के भवन बन गए हैं। इससे ग्रामीण स्तर पर गर्भवती को प्रसव जैसी बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी। यहां एएनएम की पोङ्क्षस्टग की जाएगी। नए गाइडलाइन के अनुसार एसबीए की ट्रेङ्क्षनग की हुई नर्सों को ही लेबर रूम में डयूटी पर रखा जाना है।
जयप्रकाश नारायण अस्पताल स्थित केंद्रीय दवा भंडार का अब तक अपना भवन नहीं बना है। लाखों की दवाएं खुले में रहती हैं। इससे निपटने की क्या तैयारी है?
जगह की कमी है। वैसे ज्यादातर दवाओं को सुरक्षित तरीके से मेडिकल स्टाफ के लिए बनाए गए नए आवास भवन में रखा जाता है। जल्द ही दवाओं को सुरक्षित रखने के लिए केंद्रीय दवा भंडार भवन भी बनाया जाएगा। इसके लिए विभाग को प्रस्ताव भेज दिया गया है। दवाओं के रख-रखाव पर पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
एंटी रैबिज का इंजेक्शन लगाने आए मरीजों को काफी वक्त लगता है, कई जगहों पर लाइन में लगना पड़ता है, आखिर कहां दिक्कत है?
एंटी रैबिज का इंजेक्शन लगाने की जो भी जरूरी प्रक्रिया है उसे ही फॉलो किया जा रहा है। भीड़ अधिक रहने से थोड़ा वक्त जरूर लगता है। एक मरीज को अलग-अलग तिथियों में चार पर इंजेक्शन लेना होता है। इसके लिए कुछ जरूरी कागजात जमा लिए जाते हैं। अस्पताल में फिलहाल एंटी रैबिज वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में है।
एनिमिया मुक्त कार्यक्रम सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। उसके क्रियान्वयन में कई स्तर की खामियां दिखाई पड़ती है, कैसे इसका समाधान होगा?
बिल्कुल। देश में एनिमिया को लेकर सरकार की चौकसी है। इस कार्यक्रम के जरिए छोटे बच्चों से लेकर किशोर-किशोरियों, युवतियों, शादीशुदा औरतों को एनिमिया से बचने के लिए आयरन की मुफ्त टिकिया खाने के लिए दी जाती है। इस पूरे कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के अलावा आईसीडीएस, शिक्षा का महती योगदान है। इसे लेकर जिला स्तर पर संयुक्त बैठक में जरूरी निर्देश दिए जाते हैं।
इस नए साल में आप अपने स्वास्थ्य कर्मियों और जिलेवासियों को क्या संदेश देंगे?
आमजनों से यही कहेंगे कि स्वास्थ्य की जो भी योजनाएं चल रही हैं उनका लाभ लें। परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। नियमित टीकाकरण से लेकर विशेष टीकाकरण अभियान भी संचालित है। सभी सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज व दवाएं उपलब्ध है। स्वास्थ्य कर्मियों को यह निर्देश है कि हर कोई अपनी-अपनी जवाबदेही समझें। सेवा भाव से मरीजों का इलाज करें। समय पर अपनी डयूटी के लिए उपस्थित रहें। सभी स्वास्थ्य कर्मी अपने दायित्व को निष्ठापूर्वक निभाएं।