दंतेवाड़ा से कम खतरनाक नहीं हैं छकरबंधा के जंगल, पग-पग पर नक्‍सलियों ने बिछा रखे हैं बारुदी सुरंग

औरंगाबाद समेत गया जिले में फैले छकरबंधा के जंगल नक्‍सलियों के लिए सेफ जोन हैं। वहीं ये सुरक्षाबलों के लिए काफी खतरनाक हैं। इस जंगल में जगह-जगह नक्‍सलियों ने बारुदी सुरंग बिछा रखा है। बीते दिनों ऐसे कई आइईडी डिफ्यूज किए गए थे।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 03:38 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:19 AM (IST)
दंतेवाड़ा से कम खतरनाक नहीं हैं छकरबंधा के जंगल, पग-पग पर नक्‍सलियों ने बिछा रखे हैं बारुदी सुरंग
छकरबंधा जंगल में सर्च अभियान चलाते सुरक्षाकर्मी। जागरण

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। मदनपुर एवं देव प्रखंड क्षेत्र के दक्षिणी इलाके में स्थित छकरबंधा का जंगल सुरक्षाबलों के लिए छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से कम खतरनाक नहीं है। यह जंगल गया जिला के आमस, इमामंगज, बांकेबाजार एवं डुमरिया प्रखंड क्षेत्र में भी फैला है। जंगल का अधिकांश इलाका गया जिला के उक्त प्रखंड क्षेत्रों में ही फैला है। जंगल में नक्‍सलियों ने ठिकाना बना रखा है। यह दुरूह जंगल उनके लिए सेफ जोन है। लेकिन सुरक्षा बलों के लिए बेहद खतरनाक और जानलेवा। कब-कहां बारूदी सुरंग विस्‍फोट कर जाए, कहना मुश्किल होता है।

पग-पग पर बिछा रखा है बारुदी सुरंग

इस जंगल में भाकपा माओवादी नक्सलियों ने अपनी सुरक्षा और सीआरपीएफ व कोबरा के जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए जगह-जगह बारुदी सुरंग बिछा रखा है। जंगल में हर समय नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाने के दौरान सुरक्षाबलों को बारुदी सुरंग की चपेट में आने का डर बना रहता है। शुक्रवार को सीआरपीएफ एवं कोबरा की टीम ने छकरबंधा जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान 83 बारुदी सुरंगों का पता लगाया। इसमें आइईडी लगाए गए थे। नक्सलियों ने बारुदी सुरंग को मदनपुर थाना क्षेत्र के सागरपुर, ढकपहरी, खजवतिया एवं गया जिला के छकरबंधा जाने वाली जंगली सड़क में सीरियल तरीके से लगा रखा था। सीआरपीएफ के अधिकारियों के अनुसार के अनुसार इस सड़क से सुरक्षाबल सर्च ऑपरेशन चलाते हैं। बारुदी सुरंग की बरामदगी होने से नक्सलियों की बड़ी योजना को विफल कर दिया गया है।

पहले भी जंगल से बरामद किए गए हैं आइईडी (Improvised Explosive Devise) बम

छकरबंधा के जंगल से पहले भी कई बार सीआरपीएफ एवं कोबरा की टीम ने आइईडी बम (बारुदी सुरंग) बरामद किया है। 23 मार्च 2020 को सीआरपीएफ व कोबरा की टीम ने सीरियल तरीके लगाए गए 64 आइईडी बम को डिफ्यूज किया था। 8 मार्च 2020 को दो आइईडी, 29 अगस्त 2020 को तीन आइईडी, 31 दिसंबर 2020 को गोबरदाहा जंगल से तीन आइईडी का पता  लगाकर डिफ्यूज किया गया था।

जंगल में कई सुरक्षाकर्मी हुए हैं शहीद 

छकरबंधा के जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों से कई बार सीआरपीएफ व कोबरा की मुठभेड़ हुई है। मुठभेड़ और बारुदी सुरंग विस्फोट में कई जवानों अपनी शहादत भी दी है। गया जिला के सोनदाहा डुमरीनाला जंगल में 19 जुलाई 2016 को मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों के द्वारा किए गए बारुदी सुरंग विस्फोट में सबसे बड़ी कैज्युलिटी कोबरा जवानों को हुई थी। कोबरा 205 बटालियन के दस जवान शहीद हो गए थे। तब कोबरा के इतिहास में यह सबसे बड़ी कैज्युलिटी मानी गई थी। 3 जनवरी 2018 को सीआरपीएफ का एक जवान, 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ का एक सब इंस्पेक्टर आइइडी ब्लास्ट में शहीद हुए थे। वर्ष 2018 के पहले भी कई जवान जंगल में नक्सलियों से लड़ते हुए अपनी शहादत दी है।

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