पर्यावरण की सुरक्षा के साथ मनाएं दीपावली, आओ जलाएं मिट्टी के दीये; दीवाली को लेकर औरंगाबाद तैयार

कोरोना संक्रमण के बीच इस बार भी लोग सुरक्षित दीपावली मनाएंगे। इसको लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इस बार लोग दीपावली में प्रदूषण रहित मिट्टी के दीये जलाने का संकल्प लें ताकि पर्यावरण संतुलित रहे। साथ ही पटाखों से भी दूरी बनाने को संकल्प लें।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 05:16 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:16 PM (IST)
पर्यावरण की सुरक्षा के साथ मनाएं दीपावली, आओ जलाएं मिट्टी के दीये; दीवाली को लेकर औरंगाबाद तैयार
दीवाली पर मिट्टी के दीये से घर करें रोशन। सांकेतिक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। कोरोना संक्रमण के बीच इस बार भी लोग सुरक्षित दीपावली मनाएंगे। इसको लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इस बार लोग दीपावली में प्रदूषण रहित मिट्टी के दीये जलाने का संकल्प लें ताकि पर्यावरण संतुलित रहे। साथ ही पटाखों से भी दूरी बनाने को संकल्प लें। विशेषज्ञों की मानें तो आतिशबाजी से ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है। आतिशबाजी के धुएं से पर्यावरण व सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ाता है तो वहीं मानव शरीर में कई रोगों का कारण बनता है। पहले ही वाहनों, कारखानों और अन्य कारणों से लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। कई इलाकों में हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि सांस लेना दूभर होता रहा है। सरकार और कई संगठन पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत है और पौधारोपण अभियान चला रहे हैं। ऐसे में हर व्यक्ति को पौधारोपण करना चाहिए और आतिशबाजी से दूर रहना चाहिए।

रंगीन मोमबत्ती जलाना हानिकारक : डा. रविरंजन

हमें दीपावली को प्रदूषण का त्योहार बनाने से बचना चाहिए। पटाखों के शोर से न केवल लोगों बल्कि पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है। दूसरी ओर एक बड़ी संपत्ति पटाखों के रूप में जलाकर हम खत्म कर देते हैं। उस रुपये से हम किसी की मदद कर सकते हैं। विकास के कार्यों में इसका प्रयोग हो सकता है। आज कल लोग दीपावली में रंगीन मोमबत्ती जला रहे हैं जिसका पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। मिट्टी के दीये जलाकर पर्यावरण को संतुलित रखें।

पुरानी परंपरा के साथ चलें

शहर के गायत्री नगर निवासी 60 वर्षीय कुंती देवी ने बताया कि लोगों को पुरानी परंपरा के साथ चलना चाहिए। आजकल लोग मिट्टी के दीये से दूर होते जा रहे हैं। मिट्टी के दीये जलाने से पर्यावरण संतुलित रहता है। बचपन से हमलोग मिट्टी के दीये जलाए हैं। इससे कीड़े-मकोड़े भी समाप्त हो जाते हैं।

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