CBSE Board Results 2021: सीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं के रिजल्ट तैयार करने में विद्यालय-प्रबंधन के छूटे पसीने, नियमों में उलझे शिक्षक

CBSE Board Results 2021 सीबीएसई की नियमावली के अनुसार रिजल्ट बनाने में स्कूल के प्राचार्य एवं विषय शिक्षक हैरान परेशान होते रहे । जटिल नियमावली के बंधनों से प्रभावित हो सकता है प्रतिभाशाली विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम। पहले लगा था कि स्कूल विद्यार्थियों को मनमाने नंबर बांटेगा।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 11:26 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 02:12 PM (IST)
CBSE Board Results 2021: सीबीएसई बोर्ड के 10वीं और 12वीं के रिजल्ट तैयार करने में विद्यालय-प्रबंधन के छूटे पसीने, नियमों में उलझे शिक्षक
सीबीएसई के नियमों के कारण शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन की टेंशन बढ़ी, सांकेतिक तस्‍वीर ।

नवादा, जागरण संवाददाता। CBSE Board Results 2021:  शैक्षणिक सत्र 2020-21 में 10वीं और 12वीं की परीक्षा कोरोना महामारी के खतरों को देखते हुए सीबीएसई के द्वारा रद कर दी गयी। इसके स्थान पर सीबीएसई ने इस साल दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट स्कूलों के इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर तैयार करने का निर्णय लिया। यह निर्णय विद्यार्थियों और अभिभावकों में एक ऐसे भ्रम की स्थिति को पैदा कर दिया था कि अब तो स्कूल विद्यार्थियों को मनमाने नंबर बांटेगा।

परंतु सीबीएसई ने विद्यालय प्रबंधनों के हाथ इस कदर बांधे कि ऐच्छिक अंक पाना दूर की कौड़ी हो गया। रिजल्ट तैयार करने के लिए ऐसी कठिन नियमावली जारी की गई कि शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए यह मामला टेंशन बढ़ाने वाला साबित हुआ। नियमानुसार नंबर देने के फार्मूले के द्वारा स्कूलों को इस तरह बांधा गया है कि कोई चाह कर भी अपने अपने स्कूल का रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं दे सकते हैं। सीबीएसई द्वारा विगत 3 वर्षों के रिजल्ट में जो सबसे बेहतर है उस को आधार मानते हुए इस साल का रिजल्ट तैयार करने का आदेश दिया है।

ऐसे जटिल नियमों से चकरा रहे शिक्षकों के सिर

विषयवार रिजल्ट तैयार के दौरान निर्धारित आधार वर्ष के रिजल्ट के अनुसार ही इस सत्र का रिजल्ट तैयार करना है। इस अनुसार यदि किसी विद्यालय में कुल 100 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और आधार वर्ष में 25 फीसद से कम अंक प्राप्त करने वाले कुल 6 विद्यार्थी थे तो इस वर्ष भी 6 विद्यार्थियों को 25फीसद से कम अंक देना ही होगा। अगर 25- 50फीसद तक कुल 20 विद्यार्थियों के अंक आधार वर्ष में रहे है तो इस बार भी 20 विद्यार्थियों के अंक 25-50फीसद के बीच ही देना होगा। इसी प्रकार की प्रणाली 50-75 और 75- से 100प्रतिशत तक के अंकों में भी अपनाई गई है।

इसके बाद, आधार वर्ष में यदि किसी विषय में कुल विद्यार्थियों का औसत प्राप्तांक 50प्रतिशत था तो इस साल भी उस विषय का औसत प्राप्तांक 50प्रतिशत ही होना चाहिए। यदि एक भी अंक अधिक रहा तो रिजल्ट सीबीएसई की साइट पर सबमिट ही नहीं होगा। कुछ स्कूलों ने इस आधार वर्ष को मानते हुए 70 से 80 नंबर लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या अगर 20 है तो उन्होंने अधिकांशत बच्चों का नंबर 78 या 79 डाल दिया इससे यह हुआ उस विषय में औसत अंक अधिक हो गए, जिससे उनका रिजल्ट रिजेक्ट हो गया। अन्तत: फिर से सभी बच्चों के उस विषय में नंबर कम किए गए ताकि पिछले आधार वर्ष के अनुसार उस विषय का औसत संतुलित किया जा सके।

बच्चों को 95 प्रतिश से ज्यादा देना

इतना ही नहीं, इसके अलावे प्रत्येक विषय में इस प्रक्रिया को दोहराने के बाद फिर आधार वर्ष में उस स्कूल का कुल विषय का औसत भी संतुलित करने अनिवार्य था। इन सब के बाद, अंत में उस स्कूल के आधार वर्ष में जितने बच्चों के 95प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त हुए थे, इस सत्र में भी उतने ही बच्चों को 95 प्रतिश से ज्यादा देना है। 12वीं में तो इस जटिल प्रक्रिया को करने के बाद भी 95 प्रतिशत से ज्यादा किसी भी विद्यार्थी को अंक देने के लिए सख्त मनाही थी।

अत: इस साल सीबीएसई ने और स्कूल प्रबंधन को रिजल्ट बनाने की जिम्मेदारी तो दी है परंतु स्कूल प्रबंधन के हाथ को पूरी तरह से बांधकर रख दिया है। सीबीएसई के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक स्कूल अपने पिछले साल के रिजल्ट के समकक्ष ही इस साल का भी रिजल्ट दे सकता है।

प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को हो सकता नुकसान

शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की मानें तो यह प्रक्रिया प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि इस साल पढऩे वाले विद्यार्थियों की मेधा-शक्ति पिछले सालों की तुलना में अच्छी हो और अगर सीबीएसई के द्वारा परीक्षाएं आयोजित करवाई जाती तो कई विद्यार्थी स्कूल के द्वारा दिए जा रहे नंबरों की अपेक्षा अधिक नंबर ला सकते थे, परंतु स्कूल प्रबंधन अपने पिछले रिजल्ट की विवशता के कारण उन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अधिक नंबर नहीं दे पाएंगे। इसके परिणामस्वरूप अपने रिजल्ट से असंतुष्ट विद्यार्थी और अभिभावक स्कूल प्रबंधन के प्रति अपनी नाराजगी एवं अविश्वास का भाव प्रकट करेंगे।

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