कोरोना से जान गंवाने वालों की सुध : मोक्षभूमि गया में फल्‍गु के तट पर किया गया सामूहिक पिंडदान

कोरोनावायरस से जान गंवाने वालों के लिए गया में फल्‍गु नदी के तट पर शिवानंद सत्यसंकल्प फाउंडेशन हैदराबाद और आंध्र-तेलंगाना भवन की ओर से सामूहिक पिंडदान का आयोजन किया गया। ऐसे लोगाें की आत्‍मा की शांति की प्रार्थना की गई।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 09:11 AM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 09:11 AM (IST)
कोरोना से जान गंवाने वालों की सुध : मोक्षभूमि गया में फल्‍गु के तट पर किया गया सामूहिक पिंडदान
फल्‍गु तट पर सामूहिक पिंडदान करते पुरोहित। जागरण

गया, जागरण संवाददाता।  कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए पूरा महकमा लगा हुआ है। सरकार से लेकर जिला प्रशासन एवं स्थानीय लोग भी हरसंभव एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। वहीं अब कोरोना के कारण असमय जान गंवाने वालों को मोक्ष मिले, उनकी आत्‍मा को शांति मिले, इसके लिए मोक्ष की भूमि गया में लोगों ने धार्मिक अनुष्ठान शुरू कर दिया है। शहर के फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर सामूहिक पिंडदान किया गया। अमावस्या के दिन अंतःसलिला फल्गु के तट पर सामूहिक श्राद्ध व पिंडदान किया गया।

तेलंगाना भवन की ओर कराया गया आयोजन 

शिवानंद सत्यसंकल्प फाउंडेशन हैदराबाद और आंध्र तेलंगाना भवन के प्रमुख संयोजक मनोहर लाल एवं परम सद्गुरु श्री कंदुकुरी शिवानंद मूर्ति जी के तत्वावधान में इस सामूहिक पिंडदान का आयोजन किया गया। इस संबंध में प्रमुख संयोजक मनोहर लाल ने कहा कि तेलंगाना भवन की ओर से दक्षिण भारतीय लोगों के पूर्वजों के लिए पिंडदान की व्यवस्था करते आए हैं। पिंडदान में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व हैं। इस लिए अमावस्या तिथि के दिन इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से मरने वाले लोगों की आत्मा की शांति के लिए सामूहिक पिंडदान व श्राद्ध कर्मकांड की प्रक्रिया पूरे विधि-विधान से की गई है। ताकि  जिन लोगों की कोरोना से मृत्यु हुई है, उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इसमें विशेष प्रार्थना की गई।  

कोरोना से मौत के बाद ठीक से नहीं हो सकी अंत्‍येष्टि भी 

गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण युवा से लेकर बुजुर्ग तक काल के गाल में समा गए। हर तरफ हाहाकार की स्थिति बनी हुई थी। लोगों की सांसें थम रही थीं। कई जगह तो पूरा परिवार ही खत्‍म हो गया। लोगों को अपनी मिट्टी नसीब नहीं हो पा रही थी। जैसे-तैसे अंत्‍येष्टि की गई। ऐसे में इस तरह का आयोजन सराहनीय है। 

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