शराब धंधेबाजों के खिलाफ आवाज बुलंद कर निशा ने अपने हौसले का मनवाया लोहा, गया की निशा को मिले कई सम्मान
साल 2016 में मद्य निषेध को लेकर जागरूकता रैली निकली थी। तब निशा एक चहारदीवारी को फांदकर उस जगह पहुंची जहां शराब की बड़ी खेप रखी थी। वहां पहुंचकर उन्होंने पुलिस को बुलाया और शराब जब्त करवाया। उस समय निशा आठ माह की गर्भवती थी।
गया, जागरण संवाददाता। साल 2016 में जब बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून लागू किया तब महिलाओं ने भी गांव-गांव में शराब धंधेबाजों के खिलाफ आवाज बुलंद की। उन्हें लगा कि शराबबदंदी से अब उनकी कई समस्याएं हल होंगी। घरेलू कलह से भी मुक्ति मिलेगी। इसी क्रम में मानपुर प्रखंड अंतर्गत मध्य विद्यालय, भोरे की शिक्षा सेवक निशा कुमारी के हिम्मत और हौंसले से भी लोग परिचित हुए। उन्होंने शराबबंदी मुहिम के दौरान बड़ी ही निडरता के साथ न सिर्फ जागरूकता अभियान चलाया बल्कि एक कदम आगे बढ़कर कई शराब धंधेबाजों के ठिकानों पर पुलिस को बुलाकर छापेमारी करवाई।
आठ माह की गर्भवती निशा ने शराब की बड़ी खेप पकड़वाई
साल 2016 में मद्य निषेध को लेकर जागरूकता रैली निकली थी। तब निशा ने मनसा गांव में एक शराब के अड्डा का उदभेदन किया। वह एक चहारदीवारी को फांदकर उस जगह पहुंची, जहां शराब की बड़ी खेप रखी थी। वहां पहुंचकर उन्होंने पुलिस को बुलाया और शराब जब्त करवाया। उस समय निशा आठ माह की गर्भवती थी। उनकी हिम्मत और जज्बे को देखकर मोहल्लेवासी से लेकर पुलिस भी दंग रह गई थी। इसके बाद तो उन्होंने पूर्ण शराबबंदी के लिए अपने और आस पास के गांवों में मुहिम छेड़ दी। निशा ने आसपास के करीब आठ से दस घरों में लोग शराब बनाते थे। उन्हेांने उसे भी पूरी तरह से बंद करवाया। इनके अदम्य साहस को 26 नवंबर 2020 को मद्य निषेध उत्पाद विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के हाथों सम्मान मिला। पटना में निशा को सम्मानित किया गया।
निशा बताती हैं कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है। उनका आर्थिक सशक्तीकरण हो इसे लेकर वह जागरूक करती हैं। कहती हैं समाज में जब महिलाएं जागरूक होंगी तो देश का सर्वांगीण विकास होगा। वह कराटे में ब्लैक बेल्ट से सम्मानित हैं। छात्राओं को कराटे भी सिखाती हैं। स्वदेशी बचाओ-देश बचाओ को लेकर बीते सितंबर माह में निशा को रांची में सम्मानित किया गया।