अंबा के नबीनगर रोड में बस स्टैंड बनकर तैयार, उद्घाटन की आस अब भी बाजार से ही खुल रहे वाहन
अंबा के नबीनगर रोड में बस स्टैंड का निर्माण पूर्ण हो चुका है। अब इंतजार है प्रशासकीय उद्घाटन के बाद उसे आम जनता को समर्पित करने का। विदित हो कि अंबा नबीनगर रोड में बतरे नदी के समीप नया बस स्टैंड बनाया गया है।
संवाद सूत्र, अंबा (औरंगाबाद)। अंबा के नबीनगर रोड में बस स्टैंड का निर्माण पूर्ण हो चुका है। अब इंतजार है प्रशासकीय उद्घाटन के बाद उसे आम जनता को समर्पित करने का। विदित हो कि अंबा नबीनगर रोड में बतरे नदी के समीप नया बस स्टैंड बनाया गया है। अंबा बाजार में बढ़ती भीड़ और सिमटती- सड़क आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। लोग दिन भर जाम से हलकान रहते थे।
कई बार प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद व्यवसायियों द्वारा अतिक्रमण की गई भूमि को मुक्त कराया गया था परंतु कुछ ही दिनों बाद व्यवसाई फिर से सड़क की चार्ट में दुकान लगाना शुरू कर दिया। बाजार एक बार फिर अतिक्रमण के कारण हर घंटे लगने वाले जाम का नजारा बन चुका है। स्थानीय प्रशासन चाह कर भी अब तक अधिक्रमित भूमि को मुक्त कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ली है। ऐसे में नए बस स्टैंड का निर्माण होने से वाहन की लंबी कतार बाजार से दूर जाने पर नागरिकों के लिए सहूलियत वाला होगा। परिवहन विभाग द्वारा बनाए गए बस स्टैंड बाजार से लगभग 200 फीट पश्चिम में है इस कारण वाहनों के कारण लगने वाली भीड़ अब बाजार से किनारे दिखेगी।
बस स्टैंड को उद्घाटन कर जनता को सौंपने का
यूं तो अंबा के प्रत्येक सड़क के किनारे बस स्टैंड निर्माण कराए जाने की योजना है परंतु विभिन्न सड़कों में सरकारी जमीन के अभाव में बस स्टैंड का निर्माण अब तक संभव नहीं हो सका है।
स्थानीय प्रशासन ने दे दी छूट
अंबा बाजार के चारों सड़कों में अतिक्रमण का दौर जारी है। अतिक्रमण का वर्तमान दौर तो काफी भयावह दिखता है। व्यवसाय रोड के चार्ट को छोड़ अब सड़क पर भी दुकान लगाने लगे हैं। अतिक्रमण हटाए जाने के बाद एसडीओ ने अतिक्रमण न लगाए जाएं इसकी जिम्मेवारी स्थानीय प्रशासन को दी थी। परंतु कुछ सप्ताह बाद ही व्यवसायियों ने बेखौफ होकर अतिक्रमण का तांडव करना शुरू कर दिया। आलम यह है कि अब अंबा में सड़क पर भी दुकान लगाए जा रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का माने तो प्रशासन में अब वो धमक नहीं रही कि लोग अतिक्रमण लगाने से डर सकें। यह प्रशासनिक विफलता का एक जीता जागता उदाहरण बन चुका है। कहें तो नागरिकों का विश्वास अब प्रशासकीय पक्ष से उठता जा रहा है।