बिहार के रोहतास जिले में सांस लेने से जिंदगी बढ़ती नहीं घटती है, यकीन नहीं होता तो हम बताते हैं कारण

रोहतास जिले की हवा जहरीली होती जा रही है। कोरोना संक्रमण के साथ बढ़ रहे वायु प्रदूषण का असर लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स 50 की जगह 207 के खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गया है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 11:28 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 08:47 PM (IST)
बिहार के रोहतास जिले में सांस लेने से जिंदगी बढ़ती नहीं घटती है, यकीन नहीं होता तो हम बताते हैं कारण
खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गया है रोहतास में प्रदूषण। प्रतीकात्‍मक फोटो

सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के विस्तार के साथ ही अब जिले की आबोहवा भी खराब हो गई है। गुरुवार को जिला मुख्यालय व आसपास के क्षेत्रों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) 207 को पार कर गया,  जो बेहद खतरनाक है। क्योंकि एक्यूआई का समान्य स्तर 0-50 के बीच ही होता है। ऐसी स्थिति में बढ़ती गर्मी के बीच वायु प्रदूषण (Air Pollution) का खतरा मंडराने लगा है। हवा की क्वालिटी खराब होने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां मंडरा रही है।

बेखबर बना है जिम्‍मेदार विभाग

हैरानी की बात तो यह जिम्मेवार महकमा इस बड़े खतरे से अनजान बना हुआ है। जिले में खराब हो रही हवा की गुणवत्ता  को लेकर ना तो कोई योजना बनाई जा रही है, ना ही इस पर कोई चर्चा हो रही है। जबकि चिकित्सकों के अनुसार आने वाले दिनों में यह न सिर्फ मानव जीवन के लिए , बल्कि पर्यावरण के लिए भी मुश्किल हालात पैदा कर सकता है। बढ़ते प्रदूषण के  बावजूद शहर में डीजल, पेट्रोल, केरोसिन से चलने वाले जनरेटर सेट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसके अलावा आने वाले दिनों में हर साल की तरह किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने की समस्या भी आने वाली है।

क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स

एयर क्वालिटी इंडेक्स से हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा देखी जाती है। इसमें तय किया जाता है इनकी मात्रा विश्‍व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं। यह हवा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देता है। इसमें बताया जाता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है। इस इंडेक्स में छह कैटेगरी बनाई गई है। जिसमें अच्छी, संतोषजनक , थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब व गंभीर कैटेगरी हैं। 

आंखों के लिए काफी खतरनाक

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. केएन तिवारी कहते हैं कि जैसे ही प्रदूषण अपने नॉर्मल इंडेक्स से ऊपर जाता है, आंख के लिए खतरा बढ़ने लगता है। एक्यूआइ 50 की जगह 207 के स्तर तक पहुंचना सेहत के लिए खतरनाक है। प्रदूषण में माइक्रो पार्टिकल्स आंख में जमा हो जाते हैं, लेकिन हमें दिखते नहीं। इससे एलर्जी, जलन, खुजली, पानी आने और लाली होने की समस्या आने लगती है। यह एलर्जी लंबे समय तक बनी रहेगी तो आंख की इम्यूनिटी कम हो जाएगी, जिससे इंफेक्शन और अल्सर होने का खतरा बढ़ जाएगा। इसलिए चश्मा लगाकर ही बाहर निकलें। बाहर से आ रहे हैं तो पीने के पानी से आंख को धो लें।

जिले में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण

जिले में वायु प्रदूषण के कई कारण हैं। इनमें हवा के बहाव में कमी आना, वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होना, खटारा वाहनों का विषैला धुआं उगलना, पेड़ों का अधिक मात्रा में कटाव, साथ ही ग्‍लोबल वार्मिंग बढ़ना आदि शामिल हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों में जागरूकता भी जरूरी है, क्योंकि बिना आम लोगों के सहयोग से इस पर काबू पाना संभव नहीं है।

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