बिहार: गया में ट्रेन से बंगाल ले जाए रहे 117 दुर्लभ कछुए बरामद, यौन शक्तिवर्धक दवाओं के निर्माण में होता है इस्तेमाल
बिहार के गया में देहरादून से हावड़ा जा रही योग नगरी ऋषिकेश-हावड़ा एक्सप्रेस से रेल पुलिस ने तस्करी कर ले जाए जा रहे 117 दुर्लभ कछुओं को बरामद किया। इन कछुओं का उपयोग यौन शक्तिवर्धक दवाओं के निर्माण सहित कई कार्यों में होता है।
गया, जागरण संवाददाता। देहरादून से हावड़ा जा रही शनिवार की देर रात योग नगरी ऋषिकेश-हावड़ा एक्सप्रेस से रेल पुलिस की टीम ने तस्करी कर ले जाए जा रहे 117 जीवित कछुओं (Rare Turtles) को बरामद किया है। हालांकि, पुलिस को देखकर तस्कर भागने में सफल रहे। विलुप्त हो रही लिवर टेराफीन प्रजाति के इन कछुओं काे को पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ले जाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगी कीमत पर बेचा जाता है। वहां समान्यत: इनका इस्तेमाल यौन शक्तिवर्धक दवाओं के निर्माण और फेंगशुई के लिए होता है। कछुओं की तस्करी मांस के लिए भी की जाती है। कानून के अनुसार कछुओं की तस्करी का जुर्म साबित होने पर सात साल तक सजा का प्रावधान है।
ट्रेन की बोगी में लावारिस रखे बैग से मिले 117 कछुए
रेल थानाध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि रेल पुलिस के सर्च अभियान के दौरान योगनगरी ऋषिकेश-हावड़ा एक्सप्रेस की एक बाेगी में लावारिस हालत में सीट के नीचे रखे 117 कछुए बरामद किए गए। ये कछुए लावारिस बैग में रखे थे। उन्होंने बताया कि कछुओं को तस्करी कर पश्चिम बंगाल ले जाया जा रहा था, जहां से उन्हें विदेशों में भेजा जाना था। रेल पुलिस ने ट्रेन से बरामद जीवित कछुओं को वन विभाग को सौंप दिया गया। अब वन विभाग उन्हें गंगा नदी में छोड़ देगा।
विलुप्त हो रही लीवर टेराफीन प्रजाति के हैं कछुए
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बरामद कछुए विलुप्त हो रही लीवर टेराफीन प्रजाति के हैं। यह प्रजाति साफ पानी में मिलती है। ये कछुए सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में मिलते हैं। बिहार में भी यह प्रजाति मिलती है। उत्तर-पूर्व के राज्यों में ये ब्रह्मपुत्र नदी में मिलते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रहै कीमत
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन कछुओं को पश्चिम बंगाल में ले जाकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जाता है। स्थानीय बाजार में इनकी कीमत करीब पांच हजार रुपए है। इन कछुओं का ज्यादातर इस्तेमाल यौन शक्तिवर्धक दवाओं के निर्माण और फेंगशुई के लिए होता है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्करों को लाखों रुपये मिलते हैं। इन कछुओं की मांस के लिए भी तस्करी होती है।