ऐसे में बिहार कैसे देगा कोई मिल्‍खा सिंह, यह सवाल है, 16 गोल्‍ड व 8 सिल्‍वर मेडल जीतनेवाली एथलीट नेहा का

भभुआ जिला के रामगढ़ प्रखंड के छोटे से गांव सदुल्लहपुर की रहनेवाली नेहा स्टेट से लेकर नेशनल एथलेटिक्स में दमखम दिखा चुकी है। बिहार का नाम रोशन करने के बाद भी सरकार की उपेक्षा की शिकार हैं। बेहद गरीब परिवा की नेहा ने ये कड़वे सवाल पूछे हैं

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:30 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 12:13 PM (IST)
ऐसे में बिहार कैसे देगा कोई मिल्‍खा सिंह, यह सवाल है, 16 गोल्‍ड व 8 सिल्‍वर मेडल जीतनेवाली एथलीट नेहा का
अपने गोल्‍ड व सिल्‍वर मेडल को दिखातीं एथलीट नेहा, जागरण फोटो।

रामगढ़ (भभुआ), संवाद सूत्र। जिला के रामगढ़ प्रखंड के छोटे से गांव सदुल्लहपुर गांव की रहनेवाली नेहा ने तमाम चुनौतियों को पारकर एथलेटिक्‍स खेलों में बिहार का नाम रोशन किया है। ग्रामीण स्तरीय एथलेटिक्स खेल में लगातार बेहतर प्रदर्शन और कई पुरस्कार जीतने के बाद विश्वविद्यालय, स्‍टेट व नेशनल लेवल प्रतियोगिता में भी नेहा ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वह चार बार नेशनल प्रतियोगिता में हिस्‍सा ले चुकी हैं। विभिन्‍न प्रतियोगिताओं में 16 गोल्‍ड व आठ सिल्‍वर मेडल हासिल कर चुकी हैं। ओलंपिक सहित अन्‍य प्रतिष्ठित खेलों में जीतकर पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करना चाहती हैं, मगर खेल के लिए जरूरी सुविधाओं के अभाव में उनकी प्रतिभा कुंठित होने लगी है। जागरण से बातचीत में नेहा ने सिस्‍टम से कड़वे सवाल पूछा है। नेहा कहती हैं कि क्‍या बिहार की प्रतिभाओं में दम नहीं कि वो देश को दूसरा मिल्‍खा सिंह दे सके। मगर अफसोस सरकार के कथनी करनी में बहुत फर्क है। बिहार में किसी तरह की कोई पारदर्शिता नहीं है।

अफसर ने कहा था- नेहा पर कैमूर को नाज है

नेहा वर्तमान में जीबी कॉलेज, रामगढ़ की छात्रा हैं। प्रशिक्षण के अभाव में भी वे गांव में ही अपनी दृढ़ इच्‍छाशक्ति के बदौलत लगातार प्रैक्टिस करती हैं। नेहा बेहद गरीब परिवार की है। एथलीट जैसा भोजन, पोशाक या ट्रेनिंग कुछ भी उन्‍हें नहीं मिल पा रहा है, मगर उन्‍होंने हिम्‍मत नहीं हारी है। पिता सूर्यदेव तिवारी परिवार का पेट पालने लायक खेती करते हैं। मां गृहिणी हैं। पिता ने बताया कि वह विश्वविद्यालय स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 2013 से 2017 तक सभी प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीती है। गरीब परिवार में जन्म लेकर मेहनत के बल पर इतने सारे खिताब कॉलेज को समर्पित की। तब शिक्षा विभाग के तत्‍कालीन अफसर ने पुरस्‍कार समारोह को संबोधित करत हुए कहा था कि नेहा पर कैमूर को नाज है। मगर उसके बाद सबने नेहा को भुला दिया ।

नेहा की उप‍लब्धियां

नेहा दिल्ली, इलाहाबाद, पश्चिम बंगाल के साथ बेंगलुरू में 21 किलोमीटर मैराथन दौड़ में हिस्सा लेकर दो गोल्ड व दो सिल्वर पदक हासिल जीत चकी हैं। मगर कठिन परिश्रम व लग्न के साथ इतने सारे मुकाम हासिल करने वाली इस महिला खिलाड़ी को अबतक प्रशिक्षण की उचित व्‍यवस्‍था या किसी तरह की सरकारी सुविधा मयस्सर नहीं हो सकी।

गोल्ड मेडल

- 2013 में 1500 मीटर में प्रथम

- 2014 में 400, 800 व 1500  मीटर में प्रथम

- 2016 में 400, 800 व 1500 मीटर दौड़ में प्रथम तथा 200 मीटर में दूसरा स्थान हासिल की

-  2017 में सभी प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान हासिल कर गोल्ड मेडल जीती

 मैराथन

- 2017-18 में 12 किलोमीटर मैराथन दौड़ में प्रथम स्थान

- इसी सत्र में गाजीपुर यूपी में 3000, 5000 और 1500 मीटर दौड़ में प्रथम

- लंबी कूद में दूसरा स्थान हासिल की।

- इलाहाबाद में 42 किलोमीटर मैराथन दौड़ में दूसरा स्थान हासिल की।

- 2013 में बंगाल 2014 में बेगलुरु व 2015 में पंजाब में 1600 मीटर में प्रथम स्थान हासिल

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