बारा नरसंहार: बिहार के गया में 29 साल पहले उग्रवादियों ने रेता था 35 लोगों का गला, घटना याद कर सिहर उठते हैं लोग

Bara massacre Bihar आज ही के दिन 29 साल पहले गया के बारा गांव में एमसीसी उग्रवादियों ने 35 लोगों का गला रेत दिया था। तब लालू प्रसाद यादव मुख्‍यमंत्री थे। सरकार ने पीडि़त परिवार के लिए कई घोषणाएं की थीं जो आज भी अधूरी हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 11:04 AM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 09:02 AM (IST)
बारा नरसंहार: बिहार के गया में 29 साल पहले उग्रवादियों ने रेता था 35 लोगों का गला, घटना याद कर सिहर उठते हैं लोग
मृतकों की स्‍मृति में बनाया गया स्‍तंभ। जागरण

गया, आलोक रंजन। Bara Massacre Bihar बात आज से लगभग तीन दशक पूर्व 12 फरवरी 1992 की है। गया जिले के टिकारी प्रखंड के बारा गांव में नक्सली संगठन एमसीसी (MCC) के सैकड़ों हथियारबंद उग्रवादियों ने गांव पर हमला कर एक हीं जाति के 35 लोगों की गला रेतकर हत्‍या कर दी थी। कहने को तो घटना के करीब तीन दशक गुजर गए परंतु जख्‍म अभी भरे नहीं हैं। पीड़ितों के जेहन में भय व दुख-दर्द आज भी ताजा हैं। समय ने आग पर राख की एक परत डाल दी है, परंतु दर्द की चिंगारी अब भी अंदर सुलग रही है।

11 मृतकों के आश्रितों को नहीं मिली नौकरी

घटना के बाद तत्कालीन सरकार ने पीड़ितों के आश्रितों को नौकरियां देकर मरहम लगाने का प्रयास किया था। परंतु उन पीड़‍ितों में 11 परिवार ऐसे बदकिस्‍मत हैं जिन्हें वह लाभ आज तक नहीं मिल सका है। जनप्रतिनिधि और अधिकारीगण केवल उनके लिए वादों की खेती करते रहे हैं, जिनसे अब तक केवल निराशा, तनाव और अवसाद जैसी फसलें हीं उपजती रही हैं। नरसंहार में मारे गए बारा गांव के हरिद्वार सिंह, भुषाल सिंह, सदन सिंह, भुनेष्वर सिंह, संजय सिहं, शिवजनम सिंह, गोरा सिंह, बली शर्मा, आशु सिंह तथा भोजपुर जिला अकबारी गांव के श्रीराम सिंह एवं परैया थाना राजाहरी गांव के प्रमोद सिंह के आश्रित अब भी नौकरी की आस लगाए बैठें हैं। सरकार की दोरंगी नीति के शिकार ये पीड़त अब भी उम्मीदों के डोर थामें है कि शायद हुक्मरानों को तरस आ जाए और उनकी किस्मत पलटी खा ले।

(स्‍मारक स्‍थल पर पुष्‍पांजलि अर्पित करते ग्रामीण। )

नरसंहार की पीड़ा से कम नहीं है सरकार की उपेक्षा

पूर्व सरपंच व वर्तमान पैक्स अध्यक्ष मदन सिंह कहते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद आश्रितों को नौकरी नहीं दिया जाना नरसंहार में मिली पीड़ा से कम दुखदायी नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सीपी ठाकुर ने वर्तमान सरकार को पत्र लिखकर इस संबंध में कारवाई करने को कहा था। परंतु उसे भी अनसुना कर दिया गया। जबकि उनके पत्र के आधार पर स्थानीय डीएसपी ने एक जांच प्रतिवेदन भी सरकार को भेजा था।

तब के मुख्‍यमंत्री लालू प्रसाद की घोषणाएं भी अधूरी

नरसंहार की घटना के बाद तत्‍कालीन मुख्यमंत्री (Chief Minister) लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने संपर्क पथ का निर्माण, स्थायी पुलिस चौकी, स्वास्थ्य केंद्र के अलावा बिजली, सिंचाई, पेयजल आदि सुविधाएं मुहैया कराने की घोषणा की थी, लेकिन घोषणाएं आज तक पूरी तरह पूर्ण नहीं हो सकीं। सड़क बनी लेकिन अधूरी है। चौकी के लिए ग्रामीण श्‍लोक सिंह जमीन दान में दे दी, लेकिन चौकी नही बनी। स्वास्थ्य उपकेंद्र चालू तो कर दिया गया है, लेकिन पद सृजन आज तक नहीं हुआ है। इतने वर्षों में वे मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नही कराई जा सकी हैं, जो कि एक सामान्य गांव में भी हो जानी चाहिए थी। यह अलग बात है कि चरणबद्ध तरीके से अलग अलग योजनाओं से हर गांव की तरह यहां भी विकास का सिलसिला जारी है।

स्‍मारक स्‍थल पर  दिवंगत स्‍वजनों के लिए की गई पूजा-अर्चना।

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