दो आइओ के खिलाफ औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के जज ने डीजीपी को लिखा पत्र, 18 वर्ष से गवाही को नहीं आए
यह वाद 18 वर्ष से साक्ष्य पर लंबित है। उच्च न्यायालय ने19 जून 2018 को वाद का विचारण प्राथमिकता के साथ करने का फैसला सुनाया था पर आजतक कांड के आइओ विश्वनाथ सिंह एवं कृष्ण मोहन प्रसाद गवाही देने न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए
औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। व्यवहार न्यायालय के एडीजे सात अरविंद ने दो आइओ के खिलाफ डीजीपी को पत्र लिखा है। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि वर्ष 2003 में हुई हत्या मामले में दर्ज कासमा थाना कांड संख्या 08/2003 में आइओ के साक्ष्य हेतु न्यायालय में प्रस्तुत कराने का कई बार आदेश हुआ है, पर आजतक आइओ कोर्ट में नहीं आए हैं। यह वाद 18 वर्ष से साक्ष्य पर लंबित है। उच्च न्यायालय के द्वारा 19 जून 2018 को पारित आदेश के द्वारा यह वाद का विचारण प्राथमिकता के साथ शीघ्र दो वर्ष में करने का फैसला सुनाया गया था पर आजतक कांड के आइओ विश्वनाथ सिंह एवं कृष्ण मोहन प्रसाद गवाही देने न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए हैं। गवाही देने के लिए कोर्ट से 20 जनवरी 21 को स्मारपत्र भी भेजा गया था। कोर्ट ने डीजीपी को लिखे पत्र में कहा है कि हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराते हुए चार अक्टूबर 21 को दोनों आइओ को उपस्थित हेतु निर्देशित करें।
आइओ से कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण
औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के एडीजे सप्तम अरविंद ने बारुण थाना के आइओ से स्प्ष्टीकरण मांगा है। अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका 1135/21की सुनवाई करते हुए बारुण थाना कांड संख्या 246/21 के आइओ से स्पष्टीकरण की मांग की गई है। इस कांड में अभियुक्त चिंटू कुमार, अनील कुमार एवं मंटू कुमार के अग्रिम जमानत याचिका पर 31 अगस्त 21 से वाद दैनिकी की मांग की जा रही है पर न्यायालय में नहीं भेजा जा रहा है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि आइओ स्पष्टीकरण के साथ वाद दैनिकी 20 सितंबर 21 तक न्यायालय में समर्पित करें। स्पष्टीकरण मांगते हुए कोर्ट ने लिखा है कि क्यों नहीं न्यायिक आदेश के की अवहेलना के लिए विभागीय कार्रवाई हेतु आदेश दिया जाए। बारुण थानाध्यक्ष धनंजय कुमार ने बताया कि इस कांड के आइओ अरविंद कुमार वर्तमान में निलंबित हैं। वे अबतक इस कांड का प्रभारी किसी दूसरे पुलिस पदाधिकारी को नहीं दिए हैं। कांड का प्रभार देने का निर्देश दिया गया है।