29 सितंबर को जिउतिया व्रत, औरंगाबाद नगर परिषद कर सकता जिउतिया लोक उत्सव का आयोजन

जिउतिया लोक उत्सव का आयोजन करने के लिए औरंगाबाद नगर परिषद के निर्णय पर सबकी निगाहें टिकी हैं। पुत्र के दीर्घायु एवं कुशलता की कामना के लिए किया जाने वाला जिउतिया व्रत 29 सितम्बर बुधवार को किया जाएगा। जानें पूजा मुहूर्त और पारण का समय।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 09:42 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:12 PM (IST)
29 सितंबर को जिउतिया व्रत, औरंगाबाद नगर परिषद कर सकता जिउतिया लोक उत्सव का आयोजन
औरंगाबाद में जिउतिया लोक उत्सव का होगा आयोजन, सांकेति‍क तस्‍वीर।

दाउदनगर (औरंगाबाद), संवाद सहयोगी। पुत्र के दीर्घायु एवं कुशलता की कामना के लिए किया जाने वाला जिउतिया पर्व 29 सितम्बर बुधवार को किया जाएगा। दिनांक 28 सितम्बर, दिन मंगलवार को नहाय खाय के साथ इस पर्व का प्रारंभ होगा। इस दिन 03.05 बजे से अष्टमी प्रारम्भ हो जाएगी। आचार्य लाल मोहन शास्त्री का कहना है कि जो माताएं सम्पूर्ण अष्टमी तिथि उपवास रहती हैं वे इस दिन 03.05 बजे के पहले भोजन कर लेंगी। यही शास्त्र सम्मत है। अपने परिवार की परम्परा के अनुसार पकवान बनाकर भोजन कराना चाहिए। 29 सितंबर दिन बुधवार को उपवास रहें। इस दिन व्रत है। महिलाएं अपने घर में या एक जगह इकट्ठा होकर चिल्हो-सियार की कथा सुनती हैं। यही परंपरा है। दाउदनगर में जिउतिया चौकों पर सामूहिक रूप से महिलाएं कथा सुनती हैं। यहां भगवान जीमूतवाहन के चार चौक बने हुए हैं। 30 सितंबर दिन गुरुवार को प्रात: 06.05 बजे के बाद पारण करना चाहिए। जीमूत वाहन गोसाई की पूजा करने का महत्व पूर्ण समय संध्या 06.40 बजे तक कर लेना चाहिए। इस प्रकार विधि विधान के साथ अपने पुत्र के लिए माता की तपस्या का यह महा पर्व सम्पन्न होगा।

तीन कर्म करने के लिए पुत्र की कामना करते हैं माता-पिता

आचार्य लाल मोहन शास्त्री के अनुसार शास्त्र का निर्देश है कि अपने माता पिता को जो पुत्र उद्धार करता है, वही सुपुत्र कहलाता है। जब तक माता पिता जीवित रहे तो दोनों की सेवा करना चाहिए। निधन होने के बाद तिलांजलि दे कर विधि विधान के साथ श्राद्ध समापन कर ब्रह्मण इत्यादि को सुरूचिपूर्ण भोजन कराना चाहिए। दोनों की मृत्यु होने के एक वर्ष हो जाने के बाद गया धाम जाने से पहले पुनपुन में स्नान, तर्पण, पिंड दान और फिर गया में तर्पण पिंड दान करना चाहिए। इन्हीं तीन कर्म करने के कारण माता पिता अनेकानेक कष्टों का सामना करते हुए अपने पुत्र की कामना करता है। बिना जल ग्रहण किए माताएं 24 घंटे उपवास रह कर तपस्या करती हैं। जिसके फलस्वरूप बेटा अन्न धन और जन से सम्पन होकर दीर्घायु होता है। यह जिउतिया पर्व का ही प्रभाव है।

नगर परिषद के फैसले पर टिकी है सब की नजर

दाउदनगर जिउतिया लोक उत्सव का नगर पंचायत द्वारा 2016 में पहली बार आयोजन किया गया था। इसके बाद नगर परिषद बनने की प्रक्रिया के बीच 2017 में बोर्ड नहीं रहने के कारण और 2018 और 2019 में बोर्ड की इच्छा न रहने के कारण आयोजन नहीं हो सका था। 2020 में कोविड-19 के कारण लॉक डाउन था इसलिए आयोजन नहीं हो सका था। अब इस बार नगर परिषद है और प्रथम आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तत्कालीन उप मुख्य पार्षद कौशलेंद्र सिंह की पत्नी मीनू सिंह मुख्य पार्षद हैं तो स्वयं सशक्त स्थाई समिति के सदस्य हैं। तब सक्रिय भूमिका निभाने वाले बसंत कुमार भी सशक्त स्थाई समिति के सदस्य हैं। इमली तल के आयोजन के मुख्य करता धर्ता विद्यार्थी चेतना परिषद के अध्यक्ष प्रशांत तांती की पत्नी पार्षद हैं और ये कौशलेंद्र सिंह की समर्थक हैं। पूर्व मुख्य पार्षद और तांती समाज के नेता नारायण प्रसाद की पुत्र वधू पार्षद हैं और सत्ता पक्ष की हैं। ऐसे कई पार्षद हैं जो आयोजन चाहते हैं। नप आयोजन करेगा या नहीं करेगा इस पर तमाम लोक कलाकारों के साथ जनता की नजर टिकी हुई है। दाउदनगर में जिउतिया लोक उत्सव से बड़ा कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं होता और इतनी व्यापक जन भागीदारी भी किसी दूसरे पर्व त्यौहार में नहीं होती। दाउदनगर की पहचान और इसकी प्रतिनिधि संस्कृति जिउतिया लोक उत्सव ही है। इस बार लोक कलाकारों का और जनता का दबाव है और सब को इस बात की प्रतीक्षा है कि नगर परिषद द्वारा आयोजन किया जाता है या नहीं। इसके बारे में नगर परिषद द्वारा आधिकारिक निर्णय की जानकारी कब दी जाएगी इस पर तमाम लोगों की नजर टिकी हुई है। सूत्रों के अनुसार नप आयोजन को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखता है और उम्मीद है कि आयोजन की घोषणा शीघ्र हो सकती है।

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