बिहार का औरंगाबाद जिला जहां किराये पर मिलती फार्मेसी की डिग्री, 12वीं फेल चला रहे हैं मेडिकल स्टोर

बिहार के औरंगाबाद जिला में किराये पर फार्मेसी की डिग्री दी जाती है। मतलब यह कि फार्मेसी डिग्रीधारी अपनी सेवा नहीं देतें केवल अपना नाम व डिग्री उपलब्‍ध कराते हैं। उनके बदले काम 10वीं-12वीं फेल मेडिकल स्टोर चला रहे हैं।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 08:34 AM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 08:34 AM (IST)
बिहार का औरंगाबाद जिला जहां किराये पर मिलती फार्मेसी की डिग्री, 12वीं फेल चला रहे हैं मेडिकल स्टोर
बिहार के औरंगाबाद में दवा दुकान। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। फार्मेसी एक्ट कहता है कि मेडिकल स्टोर्स व हॉल पर फार्मासिस्ट की मौजूदगी अनिवार्य है। इसके बावजूद बिहार के औरंगाबाद जिले में 1500 से ज्यादा मेडिकल स्टोर्स 10वीं-12वीं फेल युवकों के भरोसे चल रहे हैं। दैनिक जागरण की पड़ताल में इसका खुलासा हुआ है। औषधि विभाग के अधिकारी नवनीत कुमार भी मान रहे हैं कि शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक कुछ मेडिकल स्टोर्स किराए के लाइसेंस पर हैं, जिन पर फार्मेंसी की पढ़ाई करने वाली नहीं बैठते। इसके बावजूद न तो जांच हो रही है और न ही मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त किए जा रहे हैं। औषधि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल भी ऐसे मेडिकल स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की थी। हालांकि दैनिक जागरण ने जब ऐसे मेडिकल स्टोर की जानकारी मांगी तो यह कहा गया कि इसमें समय लगेगा।

बड़े दवा बाजार में भी यही हाल

दैनिक जागरण को जानकारी मिली थी कि शहर के रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर्स में आधे से ज्यादा ऐसे हैं, जिनका संचालन दवाओं के जानकार फार्मासिस्ट के बजाय 10वीं-12वीं फेल लड़के कर रहे हैं। टीम ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि शहर के अंदरूनी इलाके ताे दूर, सबसे बड़े दवा बाजार में ही हालात ठीक नहीं हैं। यहां की आधे से ज्यादा दुकानें फार्मासिस्ट का लाइसेंस किराए पर लेकर खोल दी गई और अब यह कम पढ़े-लिखे लोगों के भरोसे हैं। दुकानों पर भले ही लाइसेंस की कॉपी फ्रेम करवाकर लगा ली है, लेकिन उन पर बताए फार्मासिस्ट वहां मौजूद ही नहीं होते।

सील हो सकती है दुकानें

फार्मेसी एक्ट के तहत सभी मेडिकल स्टोर्स में डिस्प्ले बोर्ड पर फार्मासिस्ट का नाम, पंजीयन नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य है। फुटकर दवा बिक्री की दुकान पर हर समय फार्मासिस्ट की मौजूदगी अनिवार्य है। इतना ही नहीं, दवा दुकान पर काम करने वाले तमाम फार्मासिस्ट के लिए ड्रेस कोड भी तय किए गए हैं, ताकि लोग पहचान सकें कि संबंधित व्यक्ति दवा बेचने के लिए अधिकृत हैं।

किराये पर है लाइसेंस

दवा बाजार में करीब 1500 दुकानदार हैं। इनमें से करीब आधे लोग फार्मेसी की डिग्री पूरी करने के बाद खुद ही दवा व्यापार कर रहे हैं। बाकी दुकानों पर लाइसेंस में प्रोपाइटर और फार्मासिस्ट दोनोें के नाम हैं। हमें भी जानकारी मिली है कि इन दुकानों पर फार्मासिस्ट के बजाय कम पढ़े-लिखे लोग काम कर रहे हैं। हम ऐसे लोगों की जानकारी निकाल रहे हैं।

मेडिकल पर फार्मासिस्ट की मौजूदगी जरूरी

फार्मासिस्ट की मौजूदगी इसलिए जरूरी है क्योंकि वे डॉक्टरों के लिखे पर्चे पढ़ने में सक्षम होते हैं। उन्हें दवा की उपयोगिता के बारे में पता होता है। इसके बावजूद इदौर में दवा दुकानों पर न तो फार्मासिस्ट बैठ रहे हैं और न ही बाकी नियमों का पालन किया जा रहा है। फार्मेसी एक्ट में इन नियमों का पालन नहीं करने वालों के ड्रग लाइसेंस तुरंत निरस्त करने का प्रावधान है, लेकिन खाद्य एवं औषधि विभाग इस पर गंभीर नहीं है। इसके अलावा दुकान सील की जा सकती है। इस पर जुर्माने का भी प्रावधान है।

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