उदासीनता: दो संस्कृतियों का मिलन हुआ पर नहीं कहलाया मधुर, सड़क का निर्माण कार्य रह गया अधूरा

बीते 16 फरवरी 2019 को दो संस्कृतियों मगध और शाहाबाद के लोगों का मिलन का रास्ता सुगम तो हुआ पर अधूरी सड़क का निर्माण आज भी इस मधुर मिलन में अवरोध पैदा कर रहा है। अधूरा रहने से लोगों के बीच थोड़ी सी कसक आज भी रह गई है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 16 Feb 2021 01:54 PM (IST) Updated:Tue, 16 Feb 2021 01:54 PM (IST)
उदासीनता: दो संस्कृतियों का मिलन हुआ पर नहीं कहलाया मधुर, सड़क का निर्माण कार्य रह गया अधूरा
सड़क निर्माण अधूरा रहने के कारण लोगों को हो रही परेशानी। जागरण।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। बीते 16 फरवरी 2019 को दो संस्कृतियों मगध और शाहाबाद के लोगों का मिलन का रास्ता सुगम तो हुआ पर अधूरी सड़क का निर्माण आज भी इस मधुर मिलन में अवरोध पैदा कर रहा है। अधूरा रहने से लोगों के बीच थोड़ी सी कसक आज भी रह गई है। दरअसल हुआ यह कि दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल को एनएच 139 से नहीं जोड़ा जा सका है। इसकी लंबाई करीब दो किलोमीटर के आसपास है। भूमि आवंटन की अड़चने अगर दूर कर ली जाती। तो यह पुल औरंगाबाद-पटना नेशनल हाइवे से जुड़ जाता है। बता दें कि दाउदनगर-नासरीगंज  के बीच सोन नदी पर बने पुल का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों होना था। पुलवामा हमले के बाद सीएम का कार्यक्रम स्थगित हो गया था। पर तत्कालीन डीएम के हाथों ही परिचालन को शुरू कराया था।

पर्यटन को मिला बढ़ावा

दाउदनगर नासरीगंज के बीच सोन नदी पर बने पुल एवं अप्रोच रोड पर्यटन को बढ़ावा देने में कारगर साबित हो रहा है। विडंबना यही है कि दो साल बाद भी अप्रोच रोड बनकर तैयार नहीं हुआ है। अप्रोच रोड बनने के बाद पर्यटन को बढ़ावा देगा। भविष्य में यह बुद्ध सर्किट के रूप में विकसित हो सकता है। भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया की दूरी भगवान बुद्ध के दीक्षांत स्थल कुशीनगर से करीब 80 किलोमीटर कम हो जाएगा।

एचसीसी एजेंसी को मिला था काम

वर्ष 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शासन के आठ साल पूरे होने पर पुलों को बनाने की घोषणा की थी। पुल निर्माण के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया से गुजरते हुए सोन नदी पर औरंगाबाद जिले के दाउदनगर और रोहतास जिले के नासरीगंज के बीच पुल बनाने के लिए ''एचसीसी एजेंसी का चुना गया था। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा एजेंसी का नाम फाइनल किया गया था। बिहार में सोन नदी पर पहले से ही तीन पुल बने हुए हैं। जिसमें आरा-पटना नेशनल हाइवे पर कोईलवर पुल, अरवल-सहार पुल और डेहरी पुल शामिल है। अब एक और नाम जुड़ गया।

पांच साल में बनकर तैयार हुआ पुल

वर्ष 2014 से पुल निर्माण का कार्य शुरू हुआ। पांच साल में पुल बनकर तैयार हुआ है। जब पुल निर्माण कार्य शुरू हुआ तो लोग खुशी से फुले नही समा रहे थे।

पहले जाना पड़ता था पैदल या नाव से

पहले लोग नासरीगंज जाने के लिए लंबी दूरी तय कर जमाल घाट या महादेवा घाट जाते थे। फिर नाव से जमालघाट पहुंचते थे। कभी-कभी उधर से लौटते समय रात हो जाती थी। तो लौटने में लोगों को डर भी सताता था।

पुल निर्माण एजेंसी देख चुकी है आपदा भी

पुल निर्माण के अवधि में कम्पनी कई आपदा भी देख चुका है। 2016 में आई भयावह बाढ में दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल बना रहे बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के निर्माण एजेंसी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के कर्मी व मजदूर फंस गए थे। फंसे 250 लोगों को मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के एक नाव के सहारे सुरक्षित बचा लिया गया था। इस त्रासदी में कंपनी को 35 करोड़ का नुकसान भी हुआ था। इतना हीं नहीं निर्माण अवधि में ही 15 मार्च 2017 को प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन हेड ऊंचाई से गिरने से मौत के गाल में समा गए थे।

पुल निर्माण से जुड़ी जानकारी एक नजर में

- 1000 करोड़ की आई लागत

- 450 करोड़ रुपये लगे सिर्फ जमीन में

- 75 किमी दूरी कम हो गई है मगध और शाहाबाद के बीच

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