हांथों में मेहंदी रचा 'सही पोषण-देश रौशन' स्‍लोग के साथ आंगनवाड़ी सेविकाओं ने कैमर में दी जानकारी

अन्नप्राशन दिवस के मौके पर बाल विकास परियोजना कार्यालय द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। पोषाहार का संचालन कर छह माह के बच्चों का अन्नप्राशन भी कराया गया। आइसीडीएस के पर्यवेक्षिका व समन्वयक के द्वारा बच्चों को पोषण से भरपूर लड्डू खिलाकार कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 04:08 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 04:08 PM (IST)
हांथों में मेहंदी रचा 'सही पोषण-देश रौशन' स्‍लोग के साथ आंगनवाड़ी सेविकाओं ने कैमर में दी जानकारी
अभियान चलाकर पोषाहार की दी गई जानकारी। सांकेतिक तस्‍वीर।

संवाद सूत्र, रामगढ़ (भभुआ)। प्रखंड क्षेत्र के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर गुरुवार को सही पोषण देश रौशन की जानकारी हाथ में मेहंदी रचा कर सेविकाओं को दी गई। इस स्लोगन के साथ सेविका व सहायिका लोगों को पोषण तत्व की जानकारी उपलब्ध कराई। अन्नप्राशन दिवस के मौके पर बाल विकास परियोजना कार्यालय द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें पोषाहार का संचालन कर छह माह के बच्चों का अन्नप्राशन भी कराया गया। आइसीडीएस के पर्यवेक्षिका रानी कुमारी, गीता व समन्वयक अविनाश कुमार व सावित्री के द्वारा बच्चों को पोषण से भरपूर लड्डू खिलाकार कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान केंद्रों पर उपस्थित माताओं व बच्चों के लिए जरूरी पौष्टिक आहार के बारे में जानकारी दी गई। रामगढ़ केंद्र संख्या पांच गोड़सरा सहित सभी जगहों पर अन्नप्राशन का कार्य हुआ।

एलएस ने बताया कि हर माह के अंतिम समय में अन्नप्राशन दिवस होता है। तय तिथि के अनुसार बाल विकास परियोजना कार्यालय में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अलावा सेविकाओं ने भी अपने अपने क्षेत्र में घरों में जाकर बच्चों का अन्नप्राशन कराया। छह माह के बच्चों को पोषाहार देना जरूरी है। तभी उनका शारीरिक व मानसिक विकास होगा। अभी पोषण माह चल रहा है। ऐसे में इस कार्यक्रम का काफी महत्व है। धातृ व गर्भवती माताओं को खान पान के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई तथा बताया गया की छह माह के बच्चों को माता के दूध के अलावा पोषाहार देना जरुरी है। पौष्टिक आहार से ही बच्चों का विकास होगा तथा वे स्वस्थ रहेंगे।

छह महीने की आयु से बच्चों में चूसने की क्षमता कम होने लगती है। उसको खाद्य पदार्थ की जरुरत महसूस होने लगती है। ऐसे में उसे मां के दूध के अलावा पूरक आहार देना जरुरी है। छह से आठ माह के बच्चों को दिन भर में दो से तीन बार तथा 9 से 11 माह के बच्चों को तीन से चार बार पूरक आहार देना जरूरी है। इससे बच्चों के शरीर व दिमाग का तेजी से विकास होगा। इस दौरान सेविकाओं ने भी माताओं के साथ साथ उनकी दादी व बुआ को भी बच्चों के लिए आवश्यक पोषाहार के बारे में जानकारी दी।

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