अद्भूत है गया का रामशिला शिव मंदिर, कहते हैं- श्रीराम ने स्‍वयं यहां स्‍फटिक शिवलिंग की स्‍थापना की

गया के रामशिला शिवमंदिर में सालो भर भीड़ उमड़ती है। इस साल कोविड के कारण मंदिर के प्रवेश द्वार से ही बिना भीड़ लगाए भक्‍त दर्शन कर सकेंगे। मान्‍यता है कि गयाजी में पिंडदान के लिए भगवान श्रीराम आए थे। रामकुंड में स्नान कर शिवलिंग का स्थापना किए थे।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 07:45 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 08:30 AM (IST)
अद्भूत है गया का रामशिला शिव मंदिर, कहते हैं- श्रीराम ने स्‍वयं यहां स्‍फटिक शिवलिंग की स्‍थापना की
रामशिला पहाड़ के तलहटी में स्थित मंदिर के गर्भगृह में स्‍थापित स्‍फटिक का शिवलिंग। जागरण फोटो।

गया, जागरण संवाददाता। शहर के उतर दिशा में गया-पटना मुख्य मार्ग रामशिला शिवमंदिर स्थित है। मंदिर की पौराणिकता के कारण ही यहीं सालोभर शिवभक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर सौ फीट ऊंचा है। मंदिर रामशिला पहाड़ के तलहटी में स्थित है। मंदिर चूना, गारा एवं पत्थर से निर्मित है। जिसमें स्फटिक पत्थर की शिवलिंग स्थित है। इसके साथ मूंगा पत्थर का गणेश, कार्तिकेय, सूर्य, गौरी, विष्णु, बजरंग बली आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां है। देवी-देवताओं की 50 मूर्तियां मंदिर में स्थापित है।

मंदिर का इतिहास

मगध का इतिहास काफी प्राचीन है। लोगों की मान्यता है कि शिवलिंग की स्थापना भगवान श्रीराम ने ही किया था। क्योंकि मंदिर के पास ही रामकुंड स्थिति है। गयाजी में पिंडदान के लिए भगवान श्रीराम आए है। रामकुंड में स्नान कर शिवलिंग का स्थापना किए थे। ऐसे मंदिर का निर्माण टिकारी का राजा गोपाल शरण सिंह द्वारा किया गया है। जिसका निर्माण करीब दो सौ वर्ष पहले किया गया था। कहते है कि यहां शिवलिंग के दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

सावन शुरू हाेते ही तैयारियां

  सावन माह शुरू होते ही विकास समिति द्वारा रंग-रौगन से लेकर मंदिर परिसर की सफाई प्रारंभ हो जाता है। सफाई के साथ सजावट की जाती है। प्रत्येक सोमवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा, अर्चना एवं दर्शन को लेकर उमड़ रहता है। लेकिन कोरोना वायरस को लेकर मंदिर बंद है। ऐसे में श्रद्धालुओं प्रवेशद्वार पर ही पूजा, अर्चना एवं दर्शन करेंगे।  

मंदिर के पुजारी दीपनारायण पाण्‍डेय ने बताया कि शिवङ्क्षलग के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं का मन्नत पूर्ण हो जाती है। मंदिर में आने के बाद श्रद्धालु कभी खाली हाथ लौटते। शिवङ्क्षलग के गौर से देखने के बाद भगवान भोले नाथ पूरा परिवार दिखाई पड़ते है। प्राचीन काल की कई मूर्तियां यहां स्थापित  है। श्रावण महीने में काफी संख्या में श्रद्धालु यहां को आते है। लेकिन कोरोना को लेकर मंदिर बंद है।

chat bot
आपका साथी