Aurangabad के 1212 संक्रमित लोगों में दौड़ रहा एड्स का वायरस, पुरुषों की तुलना में गर्भवती अधिक पीडि़त

असुरक्षित यौन संबंध संक्रमित सूई ब्लेड व संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने के कारण जिले में बड़ी संख्या में लोग इसके जद में आ रहे हैं। तमाम जागरूकता कार्यक्रम व प्रावधानों के बावजूद एड्स पाजीटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 03:57 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 03:57 PM (IST)
Aurangabad के 1212 संक्रमित लोगों में दौड़ रहा एड्स का वायरस, पुरुषों की तुलना में गर्भवती अधिक पीडि़त
एड्स संक्रमित मरीजों की संख्‍या में हो रही वृद्धि। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सूई, ब्लेड व संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने के कारण जिले में बड़ी संख्या में लोग इसके जद में आ रहे हैं। तमाम जागरूकता कार्यक्रम व प्रावधानों के बावजूद एड्स पाजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर साल आंकड़ा में हो रही वृद्धि खतरनाक संकेत दे रही है।

वर्ष 2008 से लेकर अब तक 1212 एड्स संक्रमित मरीज मिले हैं। जिसमें 70 गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। जिले में काफी तेजी से युवा इसके संपर्क में आ रहे हैं। एड्स युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। कुल संक्रमित में से 40 प्रतिशत युवाओं के अंदर एड्स का वायरस मौत बनकर दौड़ रहा है। कुल संक्रमितों की आंकड़ा पर नजर डालें तो 40 प्रतिशत से अधिक संख्या 25 से 35 वर्ष के उम्र वाले युवाओं की है। इन संक्रमितों में से पांच प्रतिशत छोटे बच्चे भी शामिल हैं।

महिलाओं से पुरुष अधिक संक्रमित

जिले में एड्स काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है। हर वर्ष पाजीटिव मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। इनमें पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है। कुल मरीजों की आंकड़ा पर नजर डालें तो 60 प्रतिशत मरीज पुरुष हैं। वहीं 40 प्रतिशत महिलाएं इस गंभीर व लाइलाज बीमारी से संक्रमित हैं।

तीन टेस्ट के बाद आता है परिणाम

चिकित्सक डा. सुनील कुमार ने बताया कि तीन तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है। अगर वह व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है तो उसका नियमित तरीके से इलाज शुरू किया जाता है। संक्रमित व्यक्ति के बारे में किसी को नहीं बताया जाता है। उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है।

एड्स पीड़ित का आंकड़ा एक नजर में

वर्ष - जांच - पॉजिटिव

2008 - 920 - 1

2009 - 1144 - 3

2010 - 2200 - 6

2011 - 1651 - 2

2012 - 2513 - 0

2013 - 2651 - 1

2014 - 5768 - 3

2015 - 4513 - 2

2016 - 5605 - 5

2017 - 8058 - 13

2018 - 8488 - 10

2019 - 7700 - 13

2020 - 4533 - 11

जागरुकता जरुरी, बचाव ही इलाज

सिविल सर्जन डा. कुमार वीरेंद्र ने बताया कि इसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रह है। एड्स का बचाव ही इसका इलाज है। सरकार व विभाग इसके रोकथाम के लिए बेहद सजग है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर पुरुषों के लिए कंडोम की व्यवस्था भी की गई है। असुरक्षित यौन संबंध से बचना है और सजग रहना है। सभी जगहों पर इसकी जांच की जा रही है। संक्रमित मरीजों को मुफ्त दवा दी जा रही है। अब तक इसका स्थायी इलाज संभव नहीं हो पाया है।

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