कैमूर और नवादा के बाद औरंगाबाद भी डायरिया की चपेट में, आधा दर्जन लोग बीमार, एक की हालत गंभीर

डायरिया के प्रकाेप से कई जिलों में दहशत फैल गई है। कैमूर और नवादा के बाद औरंगाबाद में इस बीमारी ने पांव पसार लिया है। कुछ इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम डायरिया से बचने के लिए दवाएं और ओआरएस के घोल की पुडि़या बांट रही है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:58 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 09:58 AM (IST)
कैमूर और नवादा के बाद औरंगाबाद भी डायरिया की चपेट में, आधा दर्जन लोग बीमार, एक की हालत गंभीर
अस्‍पताल में इलाज कराते डायरिया से ग्रसित मरीज। जागरण।

संवाद सूत्र, रफीगंज (औरंगाबाद)। प्रखंड के कोटवारा गांव में गुरुवार की सुबह एक दलित परिवार के आधा दर्जन लोग डायरिया की चपेट में आ गए। स्थानीय लोगों की मदद से परिवार के  सभी  सदस्यों  को  इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया।

ग्रामीण सत्येंद्र कुमार ने बताया कि डायरिया से ग्रसित परिवारों को सीएचसी में लाकर इलाज कराया गया। इलाज में एक वृद्ध महिला कलावती कुंवर की गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सक डा. ललित कुमार ङ्क्षसह ने प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए औरंगाबाद रेफर कर दिया गया।

इधर, दूसरे नावखाप गांव में भी डायरिया बीमारी से लोग ग्रसित हो गए है। सभी लोगों को इलाज के लिए सीएचसी लाया गया। प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी डा. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि डायरिया बीमारी गर्मी, गंदगी, बासी भात खाने व हाथ न धोने के कारण होती है। अगर बुखार आए तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर तुरंत इलाज करवाएं।

डायरिया बीमारी से ग्रसित लोगों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज किया जा रहा है। कुछ लोगों को इलाज के बाद पुन: घर भी भेज दिया गया, जबकि एक गंभीर रूप से घायल वृद्ध महिला को बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया है।

गौरतलब है कि डायरिया के प्रकाेप से कई जिलों में दहशत फैल गई है। कैमूर और नवादा के बाद औरंगाबाद में इस बीमारी ने पांव पसार लिया है। कुछ इलाकों में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम डायरिया से बचने के लिए दवाएं और ओआरएस के घोल की पुडि़या बांट रही है। जागरूकता की कमी भी डायरिया का कारण बताया जा रहा है।

लोगों को साफ पेयजल नहीं मिलने से डायरिया हो रहा है। खास कर बच्‍चे इसके प्रकोप में आ रहे हैं। ऐसी सूरत में कई विभागों को जिम्‍मेदारी लेनी चाहिए थी, लेकिन वे पुरानी पाइपलाइन बदलने का काम नहीं कर रहे। सरकार का रवैया भी नगण्‍य है।

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