15 को पुलिस वाले ने बना दिया था 18, रोहतास के इस पुलिस अधिकारी पर अब गिरने वाली है गाज

मोबाइल चोरी की प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दिए गए आवेदन की तिथि बदलने के मामले में एसपी ने कार्रवाई शुरू कर दी है। एसडीपीओ की जांच रिपोर्ट पर डीआइजी ने एसपी को कार्रवाई का निर्देश दिया था।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 09:45 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 09:45 AM (IST)
15 को पुलिस वाले ने बना दिया था 18, रोहतास के इस पुलिस अधिकारी पर अब गिरने वाली है गाज
आवेदन की तिथि बदलने पर होगी कार्रवाई। प्रतीकात्‍मक फोटो

सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। जिले के बिक्रमगंज थाना में दर्ज की गई प्राथमिकी के आवेदन पर वहां तैनात पुलिस अधिकारी ने तिथि तक बदल दी। इस बात का पर्दफाश आरटीआइ (RTI) से मांगी गई सूचना से हुआ है। इससे पुलिस विभाग की किरकिरी हुई है। सिस्टम को मजाक समझने वाले पुलिस अधिकारी पर एसपी आशीष भारती ने कार्रवाई शुरु करने की बात कही है। यह कार्रवाई शाहाबाद प्रक्षेत्र के डीआइजी पी. कन्नन (Shahabad Range DIG P Kannan)  के निर्देश पर शुरू की गई है।

अगरेर थाने के एएसआइ पर की जाएगी कार्रवाई  

आरटीआइ कार्यकर्ता नटवार थाना के बरुना गांव निवासी नारायण गिरी ने बताया कि उन्हें एसपी ने दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही है। डीआइजी ने दोषी तत्कालीन थानाध्यक्ष से लेकर थाना लेखक (मुंशी) पर कार्रवाई करने का निर्देश एसपी रोहतास को गत माह दिया था। इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई शुरु किए जाने के संबंध में  एसपी ने जानकारी दी है। एसपी ने माना है कि महत्वपूर्ण पद पर बैठे पुलिस अधिकारी ने गैर जिम्मेदाराना कार्य किया है। इसी के आलोक में वर्तमान में अगरेर थाना में पदस्थापित एएसआइ विनोद पासवान पर कार्रवाई की जा रही है।

15 अक्‍टूबर को दिया था चोरी का आवेदन 

आरटीआइ कार्यकर्ता नारायण गिरी ने 15 अक्टूबर 2019 को मोबाइल चोरी का आवेदन बिक्रमगंज थाना में दिया था। पहले तो प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी की गई, काफी प्रयास के बाद जब प्राथमिकी दर्ज भी की गई तो तत्कालीन थानाध्यक्ष अतवेंद्र सिंह व थाना के मुंशी विनोद पासवान ने प्राथमिकी के लिए दिए गए आवेदन की तिथि को बदलकर 18 अक्टूबर कर दिया । सूचना के अधिकार के माध्यम से आवेदन की तिथि बदलने का मामला प्रकाश में आते ही आरटीआइ कार्यकर्ता ने सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुहिम छेड़ दी। काफी दिनों तक पुलिस अधिकारी ने मामले को दबाने का प्रयास किया, लेकिन नारायण ने हार नहीं मानी। इस मामले में डीआइजी तक से वे सूचना के अधिकार के तहत कार्रवाई की जानकारी मांगते रहे।

थाने में बदलकर 15 की जगह कर दिया 18 अक्‍टूबर 

डीआइजी के निर्देश पर एसपी ने मामले की जांच करने की जिम्मेदारी बिक्रमगंज एसडीपीओ को दी। जांच के दौरान एसडीपीओ ने भी अपनी रिपोर्ट में यह बात स्वीकार की है कि आवेदक के पास उपलब्ध आवेदन प्राप्ति कॉपी में अंकित तिथि 15 अक्टूबर है, जबकि आवेदक शिकायत आवेदन पत्र में पुलिस अधिकारियों ने 15 तारीख को 18 अक्टूबर बना दिया गया है। जांच में एसडीपीओ ने बिक्रमगंज के तत्कालीन प्रभारी थानाध्यक्ष अतवेंद्र सिंह व सहायक अवर निरीक्षक सह थाना लेखक विनोद पासवान की भूमिका को संदिग्ध माना था। डीआइजी ने एसडीपीओ की रिपोर्ट के बाद एसपी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जिसके बाद एसपी ने आरटीआइ कार्यकर्ता को पत्र भेज दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही है।

थानाध्‍यक्ष पर कार्रवाई नहीं होने से हैरान आवेदक

आरटीआइ कार्यकर्ता नारायण गिरी कहते हैं कि दोषी पुलिस अधिकारियों पर केवल कार्रवाई नहीं होनी चाहिए बल्कि आवेदन में जो छेड़छाड़ किया गया है उसपर पुलिस अधिकारियों पर फर्जीवाड़ा की प्राथमिकी भी दर्ज होनी चाहिए। इस मामले में तत्कालीन बिक्रमगंज थानाध्यक्ष अतवेंद्र सिंह पर कार्रवाई नहीं किए जाने पर भी हैरानी जताई है। कहते है कि इसके लिए भी वे आगे लड़ाई लड़ेंगे। कहा कि कानून पुलिस व आम नागरिक के लिए समान है और उनके आवेदन में तिथि बदलना फर्जीवाड़ा है।

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