रोहतास में सिर्फ प्राथमिकी तक सिमटी फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों पर कार्रवाई

गलत तरीके से बहाल शिक्षकों को हटाने में भी कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। तमाम कवायदों के बाद भी जिले में पांच सौ से अधिक शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्र पर बहाल होने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कृपापात्र बन वेतन उठा रहे हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 05:20 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 05:20 PM (IST)
रोहतास में सिर्फ प्राथमिकी तक सिमटी फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों पर कार्रवाई
फर्जी प्रमाणपत्र पर बहाल शिक्षकों पर नहीं हुई कार्रवाई। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, सासाराम। गलत तरीके व फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले शिक्षकों के मामले में अब तक सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करने तक की ही कार्रवाई सिमटी है। अधिकांश आज तक न जेल जा सके हैं न नौकरी से बर्खास्त हुए हैं। सेवामुक्ति की कार्रवाई शिक्षा विभाग व नियोजन इकाई के बीच सिर्फ पत्राचार तक सीमित रह गया है। यहीं नहीं गलत तरीके से बहाल शिक्षकों को हटाने में भी कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। तमाम कवायदों के बाद भी जिले में पांच सौ से अधिक शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्र पर बहाल होने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कृपापात्र बन वेतन उठा रहे हैं।

केस स्टडी : एक

2012 में गलत तरीके से बहाल हुए थे 33 शिक्षक

जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर जिले के राजपुर प्रखंड की शिक्षक नियोजन इकाई ने जुलाई 2012 में आनन फानन में तीन दिन के अंदर प्रक्रिया को पूरा करते 33 शिक्षकों को बहाल किया था। तत्कालीन डीईओ ओमप्रकाश शुक्ला द्वारा की गई जांच में नियोजन प्रक्रिया को गलत मानते हुए उसे अवैध करार घोषित किया गया था। जिसके बाद उच्चाधिकारियों के आदेश पर अप्रैल 2013 में नियोजित सभी शिक्षक व इकाई के पदधारकों के विरूद्ध स्थानीय थाने में विभागीय अधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। फर्जी शिक्षकों को हटाने का मामला लगभग छह वर्ष तक उच्च न्यायालय का चक्कर लगाता रहा। अंत में हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 2019 में सभी शिक्षकों को वहां की नियोजन इकाई ने सेवामुक्त की। इस अवधि तक शिक्षक वेतन निकालते रहे। फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने के आरोप में पुलिस उनपर कोई कार्रवाई प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी नहीं की।

केस स्टडी दो

महज प्राथमिकी तक सिमटी कार्रवाई

हाई कोर्ट के आदेश पर नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की हो रही सर्टिफिकेट जांच में विभाग की कार्रवाई भी महज खानापूर्ति भर रही है। जिन पौने दो सौ इकाइयों ने जांच के लिए निगरानी को फोल्डर उपलब्ध नहीं कराया है, उसके सचिव के विरूद्ध सिर्फ प्राथमिकी दर्ज करा छोड़ दिया गया है। दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कोई अनुशासनिक कार्रवाई नहीं की गई है। नामजद इकाई के पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की फाइल सक्षम अधिकारी के यहां धूल चाट रहा है। 

केस स्टडी : तीन

फर्जी शिक्षकों पर निगरानी ने दर्ज कराई है प्राथमिकी

जांच में अबतक जिन तीन दर्जन से अधिक शिक्षकों के प्रमाण पत्र जाली पाया गया है, उसके विरूद्ध निगरानी द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराते हुए उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने की अनुशंसा किए चार वर्ष से भी अधिक हो गए है। परंतु अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा शिक्षा विभाग व इकाई तक पत्राचार तक सिमटा है। दो-चार शिक्षकों को ही इकाई सेवामुक्त कर सका है। जबकि अन्य शिक्षक सेवा में बने हैं। उच्च विद्यालय रायपुर चोर में भी अधिकारियों की कृपा से तीन शिक्षक विनायका मिशन के प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रहे हैं। जबकि इस संस्थान को सरकार पूर्व में ही अमान्य घोषित कर चयनित अभ्यर्थियों का नियोजन रद कर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस निर्देश के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं होना विभाग को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है।

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