दो कमरे में 610 विद्यार्थी पढ़ने को हैं मजबूर, कैमूर के संस्कृत मध्य विद्यालय का हाल बेहाल

कैमूर के संस्कृत मध्य विद्यालय का हाल बेहाल है। यहां दो कमरों में 610 विद्यार्थी पढ़ने को मजूबर हैं। जगह की कमी के कारण एक ही जगह एक से पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं।

By Rahul KumarEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 12:02 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 12:02 PM (IST)
दो कमरे में 610 विद्यार्थी पढ़ने को हैं मजबूर, कैमूर के संस्कृत मध्य विद्यालय का हाल बेहाल
कैमूर में संस्कृत मध्य विद्यालय में दो कमरों में पढ़ते हैं 610 विद्यार्थी। जागरण

मोहनियां(कैमूर), संवाद सहयोगी। जब प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित विद्यालयों का हाल बेहाल है तो ग्रामीण क्षेत्रों के विद्या मंदिरों की क्या स्थिति होगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। संसाधन विहीन विद्यालयों में नामांकन कराकर छात्र-छात्राएं ठगा महसूस करते हैं। इसीलिए विद्यालय में जाने से वे कतराने लगे हैं। जिसे देख अभिभावक भी परेशान हैं। सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा के कारण निजी विद्यालय फल फूल रहे हैं। नगर का राजकीयकृत मध्य विद्यालय लंबे समय से समस्याओं का दंश झेल रहा है। जर्जर कमरे कभी भी बड़े हादसे का गवाह बन सकते हैं। चार दशक पूर्व बने कमरों के गार्डर टूट कर दीवार से नीचे लटक गए हैं।

जिसके कारण छत धंस चुकी है। सीढ़ी भी जर्जर है। इसी कमरों में बैठ कर एक से पांचवी कक्षा तक के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। छत पर दबाव पड़ते ही नीचे गिर जाएगा। ऐसे में बच्चों के जान माल का खतरा है। गार्डर टूटने के बाद कमरों के ध्वस्त होने की संभावना प्रबल हो गई है। यह मध्य विद्यालय गहरे तालाब से सटा हुआ है। बच्चों को तालाब की तरफ जाने से रोकने के लिए लोहे की रेलिंग बनाई गई है। जो जगह-जगह टूट चुकी है। 

तीन कमरों में पढ़ते हैं 610 बच्चे

नगर का राजकीयकृत संस्कृत विद्यालय काफी पुराना विद्यालय है। यहां एक से आठवीं कक्षा तक विद्यालय चलता है। जहां नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 610 है। विद्यालय परिसर में पांच कमरे हैं। जिसमें दो कमरे काफी जर्जर हैं। बचे तीन कमरों में बैठकर बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। एक छोटे से कमरे में कार्यालय है। जिसकी लंबाई करीब आठ फीट व चौड़ाई  छह फीट से अधिक नहीं होगी। तीनों कमरे की स्थिति है की बरसात में इसमें बैठना मुश्किल होता है। बरसात का पानी कमरे में ही गिरता है। 

40 बच्चों पर एक कमरा व एक शिक्षक होना चाहिए

सरकारी नियमानुसार विद्यालय में 40 बच्चों पर एक कमरा व एक शिक्षक होने चाहिए। कार्यालय के बाद मात्र तीन कमरा बचता है। ऐसे में एक कमरे में 125 बच्चे बैठेंगे। विद्यालय का परिसर भी बड़ा नहीं है। जिसमें जमीन पर भी बच्चे बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें। 

विद्यालय में पदस्थापित हैं 12 शिक्षक व शिक्षिकाएं 

राजकीयकृत संस्कृत मध्य विद्यालय मोहनियां में प्रधानाध्यापक सहित 12 शिक्षक शिक्षिका कार्यरत हैं। जिसमें शिक्षकों की संख्या पांच है। जगह की कमी के कारण एक ही जगह एक से पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। एक ही जगह पांच कक्षा के बच्चों को पांच शिक्षक पढ़ाते हों तो बच्चे क्या सीखते होंगे यह भी बड़ा सवाल है। भवन की कमी के कारण यहां दो शिफ्टों में पढ़ाई होती है।

विद्यालय में पेयजल व शौचालय की भी समस्या

विद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के प्यास बुझाने के लिए एकमात्र चापाकल है जिसका पानी भी पीने लायक नहीं है। चापाकल से आयरन युक्त पानी निकलता है विद्यालय परिसर में तीन शौचालय बना हुआ है। इसमें एक जर्जर है। दो शौचालय कामचलाऊ हैं। वहीं एचएम,जंगबहादुर अलख का कहना है कि, छात्र छात्राओं की संख्या अधिक है। जगह की कमी के कारण दो शिफ्टों में विद्यालय चलता था। सुबह साढ़े छह बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक एक शिफ्ट व साढ़े ग्यारह बजे से साढ़े चार बजे तक दूसरा शिफ्ट चलता था। ठंड बढ़ जाने के बाद एक शिफ्ट में विद्यालय चलाना पड़ता है। विद्यालय की समस्याओं से वरीय पदाधिकारियों को कई बार लिखित रूप से अवगत कराया गया है। अभी तक समस्या यथावत है। 

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