सासाराम स्‍टेशन पर दून एक्सप्रेस ट्रेन से बरामद हुए 48 जिंदा कछुआ

डीडीयू-गया रेलखंड के सासाराम स्टेशन पर डाउन देहरादून हावड़ा एक्सप्रेस से मंगलवार की रात आरपीएफ द्वारा चलाए जा रहे सर्च अभियान के दौरान एक बोगी से 48 जिंदा कछुआ बरामद किया गया। इनमें से दो कछुआ की लंबाई डेढ़ फीट है। तस्‍कर फरार होने में सफल रहा।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 06:55 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 08:38 AM (IST)
सासाराम स्‍टेशन पर दून एक्सप्रेस ट्रेन से बरामद हुए 48 जिंदा कछुआ
सासाराम स्‍टेशन पर बरामद कछुओं के साथ आरपीएफ के अधिकारी व जवान जागरण फोटो।

सासाराम, रोहतास ।  डीडीयू-गया रेलखंड के सासाराम रेलवे स्टेशन पर डाउन देहरादून हावड़ा एक्सप्रेस की बोगी से से मंगलवार की रात आरपीएफ ने 48 जिंदा कछुए को बरामद किया। हालांकि तस्कर पुलिस के हाथ नहीं लग पाए। यह सफलता आरपीएफ को सर्च अभियान के दौरान मिली।

रेलवे सुरक्षा बल सासाराम के इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार रावत ने बताया कि उनके नेतृत्व में जवानों द्वारा सासाराम स्टेशन पर गाड़ी संख्या 03010 डाउन ( देहरादून- हावड़ा) एक्सप्रेस की कोच संख्या एस-7 की जांच की। चेकिंग के दौरान कोच संख्या एस-7 से लावारिस हाल में चार बैग मिले। यात्रियों से पूछताछ की गई तो किसी ने अपना बैग होने की बात नहीं कही। जिसके बाद  बैग को जब्त कर उसको खोला गया तो उसमें 48 कछुए मिले। । हालांकि इस दौरान कोई तस्कर गिरफ्तार नहीं हो सका। आशंका जताई जा रही है कि कछुआ कोलकता ले जाया जा रहा था। इंस्पेक्टर ने बताया कि इनमें से दो कछुआ की लंबाई करीब डेढ़ फीट है । आरपीएफ ने वन विभाग सासाराम को इसकी सूचना दे दी है। चेकिंग अभियान में निरीक्षक पी के रावत, उप निरीक्षक डी एस राणावत,उपनिरीक्षक प्रभुनाथ सहायक उपनिरीक्षक आर एन शर्मा,आरक्षी अजीत कुमार, बंसीलाल,जयवीर व जीआरपी की टीम मौजूद रही।

महिला तस्‍कर भी हैं सक्रिय

बताते चले कि पिछले पांच वर्षों में आरपीएफ ने अब तक चार बार कछुआ तस्करों को पकड़ा है। वर्ष 2016 में चार महिला तस्करों के साथ भारी संख्या में कछुए बरामद किए गए थे। गिरफ्तार चारों महिला तस्कर उत्तरप्रदेश के उन्नाव की रहने वाली थी। एक दशक पूर्व मुफस्सिल थाना ने कछुआ से लदा एक सूमो बरामद किया था। कछुआ बरामद होने की सूचना आरपीएफ ने वन विभाग सासाराम को इसकी सूचना दे दी है। 

ज्ञातव्य हो कि यूपी की तरफ से कछुआ तस्करी कर ट्रेन के माध्यम से तस्कर पश्चिम बंगाल में ले जाकर बेचते हैं। जिससे कई दवा का निर्माण भी किया जाता है। वन्य जीव के रूप में कछुआ संरक्षित होने के बाद उसकी खरीद-बिक्री व लाना-लेजाना प्रतिबंधित है। आरपीएफ के अधिकारियों की मानें तो तस्कर ट्रेन से इसकी तस्करी करते हैं।

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