10 माह के अयांश का जीवन बचाने को चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन, पीएम-सीएम से भी लगाई गुहार

बैंगलुरू स्थिति निमहांस के चिकित्सकों ने बताया कि अयांश को स्पाइन मस्कुलर अट्रोफी की बीमारी है। इसका एकमात्र इलाज जोलगेन्समा इंजेक्शन है। अमेरिका से मंगाने में 16 करोड़ रुपये कीमत चुकानी पड़ती है। माता-पिता ने पीएम-सीएम और उद्योगपतियों से भी मदद की गुहार लगाई है।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 07:37 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 08:13 AM (IST)
10 माह के अयांश का जीवन बचाने को चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन, पीएम-सीएम से भी लगाई गुहार
अपनी मां नेहा सिंह के साथ अयांश, जागरण फोटो।

सासाराम, जागरण संवाददाता। 'मेरे दस माह के बच्चे को बचाने के लिए कोई तो फरिश्ता आ जाए। डाक्टर ने एक इंजेक्शन लगाने के लिए कहा है जिसकी कीमत 16 करोड़ है। इंजेक्शन अमेरिका की एक कंपनी ही बनाती है। कीमत पाने के बाद अस्पताल को उपलब्ध कराती है। मेरी सारी जमीन जायदाद बेचने के बाद भी इतनी राशि जुट पाती तो मैं इसे मंगा लेती। अब कोई फरिश्ता या सरकार ही मेरे बेटे की जान बचा सकती है।' यह निवेदन है रोहतास जिले के इंद्रपुरी थाना क्षेत्र के पटनवां निवासी नेहा सिंह का। उनका दस माह का अयांश बेंगलूरु के नेशनल इंस्टीट््यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (निमहांस) में जीवन और मौत के बीच जूझ रहा है। जिंदगी बचाने के लिए एक ही आसरा है कि उसे अमेरिका निर्मित 16 करोड़ की जोलगेन्समा इंजेक्शन दिया जाए।

दो माह तक स्‍वस्‍था था

नेहा बताती हैं कि अयांश दो महीने की उम्र तक स्वस्थ था। उसके बाद हाथ-पैर हिलना बंद होने लगे। कई जगह इलाज कराया। कहीं ठीक नहीं हुआ। चिकित्सकों की सलाह पर बेंगलूर के नेशनल इंस्टीट््यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में ले गई जहां चिकित्सकों न छह माह के इलाज के बाद स्पाइन मस्कुलर अट्रोफी टाइप एक की बीमारी बताया है। एकमात्र इलाज जोलगेन्समा इंजेक्शन है। अयांश के पिता आलोक कुमार सिंह ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा देश के प्रमुख उद्योगपतियों, सामाजिक संगठनों से एक इंजेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए पत्र लिखा है। पटना में भी वरीय अधिकारियों, मंत्रियों व मुख्यमंत्री से मिल मदद की गुहार लगाएंगे।

क्या है स्पाइन मस्कुलर अट्रोफी टाइप एक बीमारी :

स्पाइन मस्कुलर अट्रोफी टाइप एक बीमारी अनुवांशिकी है जिसमें नसें काम करना कम कर देती हैं। पूरा शरीर सुन्न हो जाता है। यह बीमारी दस लाख लोगों में किसी एक को होती है। दो साल के अंदर इलाज नहीं होने पर यह जानलेवा है। निमहांस की चिकित्सक डा. नीलिमा ए, डा. रवि यादव, डा. रङ्क्षवद्र नाथ सीएम, डा. सीमा वेंगालिल व डा. फहीम अरशद की टीम ने अयांश में स्पाइन मस्कुलर अट्रोफी टाइप एक बीमारी घोषित करते हुए जेनेथेरेपी यानी जोलगेन्समा नामक इंजेक्शन से ही फायदा होने की बात कही है। चिकित्सकों की टीम ने ही इंजेक्शन को अस्पताल तक मंगाने का खर्च 16 करोड़ रुपये बताया है।

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