मेडिकल स्क्रीनिग में मिले जन्मजात विकृति वाले 13 बच्चों का होगा मुफ्त ऑपरेशन

गया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में जन्मजात विकृति वाले 13 बच्चों का चयन किया गया है। ये सभी बच्चे गंभीर बीमारी से परेशान हैं। मेडिकल स्क्रीनिग के बाद विभिन्न पीएचसी से इन बच्चों को चयनित किया गया। इन सभी बच्चों को ऑपरेशन के लिए गया से पटना आइजीआइएमएस अस्पताल भेजा जाएगा। जहां इन सभी बच्चों की जांच ऑपरेशन व इलाज सबकुछ मुफ्त होगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 11:18 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 11:18 PM (IST)
मेडिकल स्क्रीनिग में मिले जन्मजात विकृति वाले 13 बच्चों का होगा मुफ्त ऑपरेशन
मेडिकल स्क्रीनिग में मिले जन्मजात विकृति वाले 13 बच्चों का होगा मुफ्त ऑपरेशन

गया। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में जन्मजात विकृति वाले 13 बच्चों का चयन किया गया है। ये सभी बच्चे गंभीर बीमारी से परेशान हैं। मेडिकल स्क्रीनिग के बाद विभिन्न पीएचसी से इन बच्चों को चयनित किया गया। इन सभी बच्चों को ऑपरेशन के लिए गया से पटना आइजीआइएमएस अस्पताल भेजा जाएगा। जहां इन सभी बच्चों की जांच, ऑपरेशन व इलाज सबकुछ मुफ्त होगा। चयनित बच्चों में 6 टेढ़ा पांव(क्लब फूट), 3 जन्मजात ह्रदय बीमारी, 2 मुंह के बाहर मांस कटे ओठ व तालु (क्लेफ्ट पैलेट), 1 जन्मजात मोतियाबिद बीमारी के बच्चे हैं। इन सभी बच्चों की जिला स्तर पर मेडिकल टीम ने स्क्रीनिग की है। इनकी प्राथमिक जांच के बाद जिला स्तर पर कागजात बनाने की तैयारी की जा रही है। इसे पोर्टल के जरिए पटना भेजा जाएगा। आइजीआइएमएस से स्वीकृति मिलते ही बच्चों को एंबुलेंस के जरिए पटना लेकर इलाज व ऑपरेशन कराया जाएगा।

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कोरोना महामारी में महीनों तक बंद रही स्क्रीनिग, 22 फरवरी के बाद तेजी

कोरोना महामारी का दंश जिले के उन जन्मजात विकृति से बीमार बच्चों को भी सहना पड़ा। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आयुष विभाग की पूरी टीम सरकारी स्कूलों व आंगनबाड़ी स्तर के बच्चों की मेडिकल स्क्रीनिग करती है। इस दौरान बच्चों में होने वाली तरह-तरह की जन्मजात विकृति यानि बीमारी का पता लगाया जाता है। लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से स्क्रीनिग का काम पूरी तरह से बंद रहा। बीते 22 फरवरी से अब पहले जैसा रफ्तार पकड़ लिया है। कार्यक्रम से जुड़े जिले भर में कुल 33 टीमें ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका आगे का इलाज करवाती हैं।

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18 साल तक के बच्चों की होती है स्क्रीनिग

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी सरकारी स्कूलों में 18 साल तक के बच्चों की जांच की जाती है। इसमें जिला स्तर पर अलग-अलग सभी प्रखंडों में काम कर रही टीमें शिक्षकों की मदद से बच्चों की शारीरिक सेहत की जांच कर आगे की कार्रवाई करती है। टीम में आयुष चिकित्सक के अलावा, एएनएम, फार्मासिस्ट व आशा रहती हैं।

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