अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने की वट सावित्री की पूजा
वट सावित्री व्रत को ले शहर के विभिन्न स्थलों पर विवाहित महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की इस पूजा का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र की कामना करना और अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना होता है।
मोतिहारी । वट सावित्री व्रत को ले शहर के विभिन्न स्थलों पर विवाहित महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की इस पूजा का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी उम्र की कामना करना और अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाना होता है। वट सावित्री व्रत सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है। गुरुवार को वट वृक्ष के समीप सुबह से विवाहित महिलाएं पूजा-अर्चना को पहुंचने लगी। पूजा के उपरांत महिलाओं वट सावित्री व्रत की कथा का श्रवण किया। पंडित सत्यदेव मिश्र ने कहा कि वट सावित्री व्रत करने और इस कथा को सुनने से व्रत रखने वाले के वैवाहिक जीवन के सभी संकट टल जाते हैं। प्रत्येक दिन की तरह सत्यवान भोजन बनाने के लिए जंगल में लकड़ियां काटने जाने लगे, तो सावित्री उनके साथ गईं। वह सत्यवान के महाप्रयाण का दिन था। सत्यवान लकड़ी काटने पेड़ पर चढ़े, लेकिन सिर चकराने की वजह से नीचे उतर आये। सावित्री पति का सिर अपनी गोद में रखकर उन्हें सहलाने लगीं। तभी यमराज आते दिखे जो सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे। सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे जाने लगीं। इस घटना की जानकारी के बाद ऋषि नारद जी ने अश्वपति से सत्यवान् की अल्पआयु के बारे में बताया। माता-पिता ने बहुत समझाया, परन्तु सावित्री अपने धर्म से नहीं डिगी। जिनके जिद्द के आगे राजा को झुकना पड़ा। सावित्री और सत्यवान का विवाह हो गया। सत्यवान बड़े गुणवान, धर्मात्मा और बलवान थे। वे अपने माता-पिता का पूरा ख्याल रखते थे। सावित्री राजमहल छोड़कर जंगल की कुटिया में आ गई थीं। राजसी वस्त्राभूषणों का त्यागकर अपने अंधे सास-ससुर की सेवा करती रहती थी।