बीच धारा में चीत्कार कर रहे थे महिलाएं व बच्चे
मोतिहारी । शिकारगंज के गोढिया गांव में अभी लोगों ने सुबह की शुरुआत भी ठीक से नही की थी कि नाव हादसा की खबर लगते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई।
मोतिहारी । शिकारगंज के गोढिया गांव में अभी लोगों ने सुबह की शुरुआत भी ठीक से नही की थी कि नाव हादसा की खबर लगते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई। जो जहां था वही से तट की तरफ दौड़ पड़ा। घटना के समय तट पर मौजूद रहे धनंजय सहनी बताते हैं कि नाव अपनी लय में जा रही थी कि अचानक से पलट गई। वह मंजर वे ताउम्र नही भूल सकते। नाव पलटने के साथ ही महिलाओं व बच्चों की चीत्कार साफ साफ सुनाई दे रही थी। खुद की परवाह न करते हुए वे नदी में कूद पड़े। डूब रहे महिलाओं व बच्चों को सहारा देने की जीतोड़ कोशिश की। हीरा सहनी की पत्नी संझरिया देवी (40) को बचाने में वे कामयाब भी हुए। किसी तरह वे उक्त महिला को नदी के तट पर ला सके। तब महिला अचेत अवस्था में थी। धनंजय की माने तो हादसे के वक्त नाव पर दो दर्जन के करीब लोग सवार थे। उनमें से अधिकतर स्थानीय ग्रामीण थे जो नदी के उस तरफ चारा लाने अथवा कृषि कार्य से जा रहे थे। लापरवाही बनी मुसीबत
स्थानीय ग्रामीणों की माने तो अक्सर यहां नाविकों द्वारा लापरवाही बरती जाती है। नाव का ठीक से रखरखाव भी नही किया जाता है। वही पैसे की लालच में क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाया जाता है। ऐसा एक दिन की बात नही बल्कि अमूमन हर रोज इस तरह से असुरक्षित ढंग से यहां नावों का परिचालन किया जाता है। कतिपय कारणों से स्थानीय प्रशासन सब कुछ जानकर भी अनजान बना रहता है। वही स्थानीय नाविक प्रगास सहनी भी बताते हैं कि नाव पर क्षमता से ज्यादा लोग सवार हो गए थे। मना करने के बाद भी कुछ लोग नाव को खोल लेकर आगे बढ़ गए। जहां बीच धारा में पहुंचते ही नाव का संतुलन बिगड़ गया। सुबह के समय तट के उसपर जाने वालों की अक्सर भीड़ रहती है। कुछ ऐसा ही नजारा दिन ढलने के ठीक पहले तट उस पार का होता है। वापस लौटने की होड़ में लोग जान की भी परवाह। नही करते।
इनसेट
हम कइसे जिदा बानी,हमरा खुद विश्वास नईखे
चिरैया, संस : प्रखंड के शिकारगंज थाना क्षेत्र के गोढि़या गांव में रविवार को हुई नाव हादसे के बाद बचकर नदी से बाहर निकली प्रभु पंडित की पत्नी मुन्ना देवी काफी बदहवास है। उसे खुद पता नही है कि वह जीवित कैसे है। जब वह पानी से बाहर निकली तो उसके तन पर साड़ी नही थी। गांव के रमोद कुमार ने उसे साड़ी लाकर दिया। बाहर आते ही वह बेहोश हो गई। उसे भरोसा नहीं हो रहा है कि वह बच कैसे गई। उसने बताया कि हादसे के शिकार किसी के भी बचने की कोई गुंजाइश नही थी। ईश्वर की प्रेरणा से रमोद कुमार, प्रमोद कुमार, जयचंद्र राम व धनंजय सहनी, प्रदीप कुमार व विकलेश कुमार जैसे कुछ लोग देवदूत बनकर आए और जान की बाजी लगाकर 17 लोगों को बाहर निकाला।