अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य आज, पूजा को तैयार छठ घाट

मोतिहारी। चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने की

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 11:46 PM (IST) Updated:Mon, 12 Nov 2018 11:46 PM (IST)
अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य आज, पूजा को तैयार छठ घाट
अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य आज, पूजा को तैयार छठ घाट

मोतिहारी। चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने की प्रथा है। इसके लिए सभी छठ घाटों की तैयारी पूरी कर ली गई है। पर्व के दौरान सिर्फ अस्ताचलगामी व उदीयमान सूर्य की पूजा की जाती है। जिन घरों में छठ पूजा है वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। बच्चों को पूजा के महत्व से अवगत कराया जा रहा है। दूसरी ओर विभिन्न मोहल्लों के समाजसेवी व अन्य छठ घाटों को बेहतर लुक देने में लगे हैं। शहर के कई घाटों पर भगवान भास्कर की प्रतिमा के साथ-साथ अन्य देवताओं की प्रतिमा लगाई गई है। अटल उद्यान पार्क, मनरेगा पार्क, शहीद प्रकाश उद्यान, कदम घाट, वृक्षास्थान घाट, मलंग घाट, रघुनाथपुर छठ घाट व मुंशी ¨सह महाविद्यालय के मैदान में बने छठ घाट पर प्रतिस्पर्धा का माहौल दिख रहा है। वहीं घाटों पर पंडाल निर्माण, बिजली व सफाई का काम पूरा कर लिया गया है। इन छठ घाटों को पूजा समिति के सदस्यों द्वारा प्राकृतिक व आर्टिफिशियल सामान से सजाने का काम अंतिम चरण में है।

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कोसी के लिए सजी ईंख की दुकान

फोटो 12 एमटीएच 16

जासं, मोतिहारी : छठ पूजा के दौरान कोसी का महत्व है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि छठ करने वाले सभी लोग कोशी भरे। ऐसी मान्यता है कि शुभ कार्य या मनोकामना पूर्ण होने पर लोग कोसी भरते हैं। कई लोग जोड़ा कोसी भरने की भी मन्नत मांगते हैं और पूरा होने पर कोशी भरते हैं। यह पूजा अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रती अपने घर पर करते हैं। इस दौरान ईंख को आपस में जोड़कर उसे खड़ा किया जाता है और बीच में हाथी व ईखों के बीच में ढक्कना सजाते हैं। इसमें पूजा में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री भी रखी जाती है और उसके ऊपर दीप जलाकर पूजा की जाती है। इस दौरान व्रती के साथ घर व आसपास की महिलाएं छठ पूजा के पारंपरिक गीत गाती हैं। गीतों में परिवार के सभी सदस्यों के नाम लिए जाते हैं। इसके उपरांत उदयमान सूर्य को अ‌र्घ्य के पूर्व भी छठ घाट पर कोसी भरी जाती है।

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