शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का योगदान अनुकरणीय : डा. तबरेज

आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान अनुकरणीय रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के साथ संस्कृति को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी साहित्य अकादमी व ललित कला अकादमी की स्थापना की।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 10:15 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 10:15 PM (IST)
शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का योगदान अनुकरणीय : डा. तबरेज
शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजाद का योगदान अनुकरणीय : डा. तबरेज

मोतिहारी । आजाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान अनुकरणीय रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के साथ संस्कृति को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी व ललित कला अकादमी की स्थापना की। उक्त बातें जिले के सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सक डॉ. तबरेज अजीज ने गुरुवार की शाम राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर मदरसा अंजुमन इस्लामिया के सभागार में अंजुमन तरक्की उर्दू के तत्वाधान में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। कहा कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में आईआईटी की स्थापना कर देश को एक बेहतर दिशा देने का काम आजाद ने किया था। वह एक पत्रकार भी थे और अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को जागरूक करते रहते थे। वहीं अवकाश प्राप्त शिक्षक अबुनसर नेहालुद्दीन ने कहा कि राष्ट्र के नवनिर्माण में उनके द्वारा किए गए कार्यों को आज भी याद किया जाता है। अध्यक्षता कर रहे अंजुमन तरक्की उर्दू के जिलाध्यक्ष तनवीर खान ने कहा कि मौलाना आजाद की जिदगी से सबों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। गोष्ठी में रफी अहमद आफताब, अधिवक्ता जफरूल्लाह खान, अधिवक्ता मो.तैयब, हैदर मेहदी, अधिवक्ता अजीमुद्दीन हाशमी, मजहरूल हक, डॉ.खुर्शीद अजीज, शकील सिद्धिकी व अमर उस्मानी ने अपने-अपने विचार रखें। मौलाना आजाद की सोच के करीब है राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 मोतिहारी : महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का विषय 'उच्च शिक्षा के अग्रदूत : मौलाना अबुल कलाम आजाद' था। अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष आचार्य आशीष श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूजीसी एचआरडीसी बनारस हिदू विश्वविद्यालय के निदेशक आचार्य प्रवेश श्रीवास्तव ने कहा कि मौलाना साहब की नजर में जितना महत्व उच्च शिक्षा का था उतना ही प्राथमिक शिक्षा का भी था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के बाद उनकी प्रासंगिकता और बढ़ जाती है, जो उनकी सोच के बेहद करीब है। उन्होंने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपने पहले कार्यकाल में आइआइटी, आइआइ-एससी, स्कूल आफ प्लानिग एंड आर्किटेक्चर तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की। वेबिनार में विशिष्ट अतिथि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के पूर्व कुलपति मो. मुजामिल ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद सरीखे लोग कभी मरते नहीं, बल्कि अपने विचारों से वे जिदा रहते हैं। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के उप कुलपति आचार्य जी. गोपाल रेड्डी ने कहा कि कलाम साहब ने देश में शिक्षा के ढांचे में सुधार करने का सपना देखा था और उन्होंने इसे पूरा करने का प्रयास भी किया। इसके लिए देश उनका ऋणी रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि एक शिक्षाविद, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ के रूप में कलाम साहब ने भारत के शिक्षा संरचना को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की संयोजिका एवं विभाग की सहायक आचार्या डॉ. रश्मि श्रीवास्तव द्वारा दिया गया। जबकि संचालन विभाग की सहायक आचार्या डा. मनीषा रानी ने किया। कार्यक्रम में शिक्षा विद्यापीठ लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व संकायाध्यक्ष आचार्य उमेश वशिष्ट, सह आचार्य डा. मुकेश कुमार, सहायक आचार्य डा. पाथलोथ ओमकार एवं विश्वविद्यालय के अन्य संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।

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