शहर में स्वच्छ भारत मिशन बना नकारा
रक्सौल (मोतिहारी)। भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल की सुंदरता कूड़े-कचरे में लिपटी दिखाई देती है।
रक्सौल (मोतिहारी)। भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित अंतरराष्ट्रीय महत्व के शहर रक्सौल की सुंदरता कूड़े-कचरे में लिपटी दिखाई देती है। इससे स्वच्छ रक्सौल, सुंदर रक्सौल की बात बेमानी होती नजर आती है। हर चौक-चौराहों पर कूड़े-कचरे का अंबार लगा रहता है। नगर परिषद ने कूड़े-कचरे के लिए कचरा डंपिग सेंटर का निर्धारण नहीं किया है। जिसके कारण शहरवासी अपने घरों के कूड़े-कचरे को जहां मन चाहा वहीं फेंक देते हैं। यत्र-तत्र फेंके गये कूड़े-कचरे पर आवारा पशु मुंह मारते नजर आते हैं। इससे उठती दुर्गंध लोगों को परेशान कर देती है। रास्ते से गुजरने वाले पर्यटकों व लोगों को नाक पर रूमाल रखकर गुजरना पड़ता है।
कहां-कहां पसरा है कूड़ा-कचरा
शहर के मुख्य पथ स्थित थाना गेट के पास, पोस्टऑफिस के पास, पुराना बस स्टैंड, स्टेशन रोड के मुहाने पर, स्टेशन के बाहर रेलवे गोल कॉलोनी के प्रवेश सड़क पर, बॉर्डर किग होटल के पास, कौड़ीहार चौक नहर पुल के पास सहित अन्य जगह शामिल है। जहां लोग कूड़ा-कचरा फेंक देते हैं।
क्या कहते हैं प्रबुद्धजन
यत्र-तत्र कूड़ा कचरे फेंके जाने पर शहर के प्रबुद्धजनों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। युवा समाज सेवी दिनेश प्रसाद ,टेक्सटाइल्स चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव अलोक श्रीवास्तव, संभवना के अध्यक्ष भरत प्रसाद गुप्त, भाजपा कमलेश कुमार, पूर्व वार्ड पार्षद आदि लोगों का कहना है कि लोगों को अपने शहर को स्वच्छ रखने के लिए यत्र-तत्र कूड़े को नहीं फेंकना चाहिए। कूड़े के लिए कचरा डंपिग सेंटर व डस्टबीन का प्रयोग करना चाहिए।
लोगों को यत्र-तत्र कूड़ा-कचरा नहीं फेंकना चाहिए। डस्टबीन का प्रयोग करें। इसके लिए लोगों को शहर को स्वच्छ व सुंदर रखने के लिए आगे आना होगा। हाल ही में सर्वे रिपोर्ट में 50 हजार से एक लाख आबादी वाले शहर इंडो-नेपाल बार्डर के नगरपरिषद को 51 वां स्थान मिला है। शहर स्वच्छता में देश स्तर टॉप टेन स्थान के लिए नगरपरिषद को पहल करने की आवश्यकता है।