गरीबों के रोजगार के खुले नए अवसर, मिल रहा लाभ

मोतिहारी। इस साल हर तरफ कोरोना की काली छाया नजर आई। बाहर काम करनेवाले मजदूरों पर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Dec 2020 12:51 AM (IST) Updated:Sat, 26 Dec 2020 12:51 AM (IST)
गरीबों के रोजगार के खुले नए अवसर, मिल रहा लाभ
गरीबों के रोजगार के खुले नए अवसर, मिल रहा लाभ

मोतिहारी। इस साल हर तरफ कोरोना की काली छाया नजर आई। बाहर काम करनेवाले मजदूरों पर मानों पहाड़ टूट गया। किसी प्रकार उनकी घर वापसी तो हुई, पर सबसे बड़ी समस्या रोजगार की रही। हालांकि, सरकारी स्तर पर कई योजनाओं के जरिए उन्हें न केवल सहारा दिया गया, बल्कि लंबे समय के लिए रोजगार का अवसर भी मिला। क्वारंटाइन सेंटर में उन्हें योजनाओं के बारे में जानकारी देने के साथ 39 हजार जॉब कार्ड बनाया गया। रोजगार के इच्छुक को वहीं से रोजगार देने का कार्य भी प्रारंभ किया गया। प्रवासी मजदूरों की बात करें तो 19648 मजदूरों ने काम मांगा, जिन्होंने काम भी किया। गरीबों को सबल बनाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं प्रारंभ हुई, जहां उन्हें रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून को गरीब रोजगार कल्याण अभियान प्रारंभ किया। इसके माध्यम से 40 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया।

जिले के 315 तालाब के जीर्णोद्वार में मजदूरों को मिला रोजगार

जिला स्तर पर जल-जीवन हरियाली योजना के तहत प्रत्येक गांव एक तालाब योजना का शुभारंभ किया गया। जिले में इस प्रकार के 315 तालाबों का जीर्णोद्वार किया गया। इसमें बाहर से आने वाले मजदूरों को रोजगार का अवसर दिया गया। रामगढ़वा, चिरैया व धनौती नदी में मॉडल अभियान के तहत भी रोजगार का सृजन किया गया। पहाड़पुर समेत अन्य प्रखंडों में लोगों को रोजगार के अवसर देने की दिशा में भी प्रयास किया गया। कैट शेड के आधार पर रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया गया। दूध का व्यवसाय, बकरी पालन, मुर्गी पालन को निजी स्तर पर करने के लिए नया अवसर दिलाया गया। इस प्रकार के 15 हजार लोगों को रोजगार का अवसर दिया गया। वे विभिन्न प्रखंडों में इस कार्य को कर रहे हैं।

महिलाओं को वनपोषक के रूप में किया गया नियुक्त घर से बाहर रहकर कार्य करने वाले इस प्रकार के मजदूरों के परिवार की बेहतरी के लिए उनके घर की महिलाओं को वनपोषक के लिए चयनित किया गया। ग्रामीण स्तर पर महिलाएं इस कार्य से जुड़कर परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत होने में मदद कर रही हैं। प्रवासी मजदूरों को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकारी स्तर पर कलस्टर बनाकर छोटे-छोटे उद्योग की स्थापना की पहल की गई है। बैग निर्माण, होजियरी से संबंधित पांच कलस्टर में चार अभी संचालित हैं, जिसके माध्यम से रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। इस योजना के तहत रोजगार को स्थापित कर संचालन करने के लिए सरकारी स्तर पर दस लाख रुपये दिए जा रहे हैं। इसके लिए बनी कमेटी में प्रवासी मजदूरों के साथ कुशल श्रमिकों को रखा गया है। वर्जन : कोरोना काल में सरकारी स्तर पर रोजगार से जोड़कर लोगों को बेहतर करने का प्रयास किया गया है। इसका लाभ भी व्यापक स्तर पर मिला है। काम की मांग करने वाले हर मजदूरों को काम दिया गया है। सरकारी व निजी स्तर पर रोजगार के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर रोजगार दिया जा रहा है। अमित कुमार, डीपीओ, मनरेगा

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