मेहसी में जंग खा रहीं सीप बटन उद्योग की 39 लाख की मशीनें
मोतिहारी। सीप बटन उद्योग के चलते मेहसी का अतीत भले ही सुनहरा था लेकिन वर्तमान पर बदहाली क
मोतिहारी। सीप बटन उद्योग के चलते मेहसी का अतीत भले ही सुनहरा था, लेकिन वर्तमान पर बदहाली की छाया है। वर्ष 2000 के बाद यह उद्योग धीरे-धीरे दम तोड़ऩे लगा। इसे जीवित करने के लिए आठ साल पहले सरकार की ओर से प्रयास किया गया। लाखों की आधुनिक मशीनें लगाई गईं, लेकिन शुरुआत आज तक नहीं हो सकी है। मशीनें कबाड़ में बदल रही हैं।
मेहसी के सीप बटन उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से चकलालू में सार्वजनिक सुविधा केंद्र की स्थापना की गई। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने वर्ष 2013 में स्फूर्ति योजना के तहत रीवर सेल बटन क्लस्टर का निर्माण कराया। 39 लाख खर्च कर जर्मनी से मशीनें मंगा लगाई गईं। इसके संचालन के लिए चंपारण एसोसिएशन ऑफ रूरल डेवलपमेंट नाम से एक समिति बनाई गई। इसमें अध्यक्ष सहित 25 लोगों को शामिल किया गया। मशीनें तो लगा दी गईं, लेकिन इसे चालू करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। इसके संचालन के लिए बनी समिति ने भी कोई प्रयास नहीं किया। पूंजी के साथ प्रशिक्षण बाधा : समिति से जुड़े हैदर इमाम अंजार बताते हैं कि मशीनें तो लगा दी गईं, लेकिन पूंजी की व्यवस्था नहीं की गई। इन मशीनों के संचालन के लिए कारीगरों को आवश्यक प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। आज ये मशीनें जंग खा रही हैं। इसे शुरू करने के लिए अधिकारियों ने कई बार निरीक्षण भी किया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। -कोट
मेहसी में पुराने क्लस्टर की स्थिति की पड़ताल की जाएगी। वहां की जो भी समस्या होगी, उसे दूर कर चालू कराने की दिशा में प्रयास होगा।
-शीर्षत कपिल अशोक, जिलाधिकारी