मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आज होगी उपासना

महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा है कि बुधवार को श्रद्धालु भक्ति-भाव के साथ उपवास रहकर महानवमी व्रत करने के साथ साथ मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आराधना करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 01:31 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 01:31 AM (IST)
मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आज होगी उपासना
मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आज होगी उपासना

मोतिहारी । महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा है कि बुधवार को श्रद्धालु भक्ति-भाव के साथ उपवास रहकर महानवमी व्रत करने के साथ साथ मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की आराधना करेंगे। इस दिन पूजा पंडालों तथा घरों में आवाहित देवताओं के साथ भगवती दुर्गा की पूजा करने के पश्चात भक्तजन बटुक एवं कुमारी पूजन के अनन्तर हवन,पूर्णाहुति आदि का अनुष्ठान सम्पन्न करेंगे। वहीं नवरात्र व्रत करने वाले श्रद्धालु कल गुरुवार को आवाहित देवताओं के विसर्जन के बाद पारण करेंगे। उन्होंने बताया कि नवरात्र पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमलपुष्प पर भी आसीन होती हैं। इस दिन पूर्ण निष्ठा के साथ आराधना करने वाले भक्तों को सभी सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। इनकी उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों की लौकिक-पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। उन्होंने हवन के महत्व को बताते हुए कहा कि देवताओं के निमित्त हवन करने से ज्ञाताज्ञात समस्त पापों का नाश होता है। विधि पूर्वक अग्नि में हवन करने वाला मनुष्य ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है। अग्नि में जब देवताओं को उद्देश्य करके मंत्रोच्चार पूर्वक हवि द्रव्य का त्याग किया जाता है,तब अग्नि के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि उन-उन देवताओं तक उस-उस द्रव्य को पहुंचा दे,जिसमें कि उनकी तृप्ति हो जाए। इसलिए वेद में अग्नि को देवदूत और देवमुख कहा गया है। नवमी तिथि के दिन भगवती को धान का लावा भोग लगाना चाहिए। इनसेट

भगवान श्रीराम जी के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक है राम नवमी

फोटो : 20 एमटीएच 13

मोतिहारी : श्रीरामनवमी हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो देश-दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार वैष्णव समुदाय में विशेष तौर पर मनाया जाता है। आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है। इस पावन तिथि पर भगवान राम ने धरती पर अवतार लिया था। वे भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। हिन्दू प†चाड्ग के अनुसार इस वर्ष राम नवमी महा पर्व बुधवार 21 अप्रैल को मनाया जाएगा। प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि भी मनाई जाती है र नवमी तिथि में हवन करने उपरांत पूर्णाहुति का कार्य सम्पन्न होता हैं। इस दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं। सतयुग के बाद त्रेतायुग में लंकाधिपति रावण का नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से राम के रूप में जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

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