जेई व एईएस को मात देने की तैयारी तेज

मोतिहारी। जेई (जैपनीज इंसेफलाइटिस) व एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से बचाव के लिए स्वास्थ्

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 12:57 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 12:57 AM (IST)
जेई व एईएस को मात देने की तैयारी तेज
जेई व एईएस को मात देने की तैयारी तेज

मोतिहारी। जेई (जैपनीज इंसेफलाइटिस) व एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। जिला से लेकर प्रखंड स्तर पर विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य किए जा रहे हैं। आम लोगों को जागरूक करने से लेकर स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने का काम जारी है। इस क्रम में शुक्रवार को जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा हो गया। इसके तहत डॉक्टरों एवं जीएनएम-एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षक के रूप में डॉ. कुमार अमृतांशु एवं डॉ. पकज कुमार सक्रिय थे।

डॉ. अमृतांशु ने बताया कि इस बार सभी स्वास्थ्यकर्मियों की जवाबदेही तय की गई है। चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया गया है। पीएचसी से एईएस के मरीज को जिला मुख्यालय भेजने के लिए आवश्यकता पड़ने पर एंबुलेंस के अलावा प्राइवेट गाड़ी के उपयोग की भी इजाजत दी गई है। इस मद में प्रत्येक प्राइवेट गाड़ी को 12 सौ रुपये भुगतान किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान दवा की सूची भी उपलब्ध करा दी गई है। सूचीबद्ध दवाइयां हर हाल में अस्पताल में उपलब्ध रहनी चाहिए। इसमें किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जागरूकता के लिए लग रही चौपाल

चमकी बुखार से बचाव के लिए आम लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। खुद के स्तर पर सावधानी बरत कर भी इस बीमारी से बच्चों को बचाया जा सकता है। इस बात को ध्यान में रख स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव-गांव में चौपाल लगाकर लोगों को बीमारी से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। बीमारी के लक्षण भी बताए जा रहे। लोगों को बताया जा रहा है कि लक्षण सामने आने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।

पीएचसी स्तर पर की जा रही विशेष व्यवस्था

चमकी बुखार से बचाव के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी खास इंतजाम किए गए हैं। एईएस के मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाए गए हैं। वहीं, इसके लिए सूचीबद्ध जरूरी दवाइयों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जा रही है। ऐसी व्यवस्था की जा रही कि किसी भी स्थिति में कोई चूक न हो। साथ ही दवा की भी कमी न हो। व्यवस्था की पड़ताल विभागीय अधिकारियों द्वारा लगातार की जा रही है।

सदर अस्पताल का पीकू वार्ड भी तैयार

बीमारी को मात देने के लिए सदर अस्पताल का पीकू (पेडिएट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) वार्ड भी आवश्यक संसाधनों के साथ पूरी तरह तैयार है। वार्ड में अत्याधुनिक उपकरण के साथ सभी जरूरी दवाइयां भी उपलब्ध हैं। मरीजों को इस बीमारी से बचाने के लिए सदर अस्पताल के इस वार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जीएनएम से लेकर डॉक्टर तक को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।

बीमारी से बचाव को यूनिसेफ सक्रिय

जेई-एईएस से बचाव के लिए इस बार यूनिसेफ की खास भूमिका है। जिला मुख्यालय से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक पूरी व्यवस्था में यूनिसेफ द्वारा सक्रिय सहयोग किया जा रहा है। इस संबंध में यूनिसेफ के डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि सभी स्तरों पर समन्वय स्थापित कर व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है। जहां कहीं भी कोई कमी है, उसे तुरंत ठीक किया जा रहा। मकसद है कि व्यवस्था को सुचारु रूप देने में किसी किस्म का कोई अवरोध न रहे।

गत वर्ष एईएस से दो बच्चों की हुई थी मौत

वर्ष 2020 में इस जिले में एईएस से पीड़ित बच्चों की कुल संख्या 28 रही। वहीं, दो की मौत भी हुई थी। दोनों बच्चों की मौत एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर में हुई थी। उन्हें इलाज के लिए वहां रेफर किया गया था। इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए सभी स्तरों पर सक्रियता बरती जा रही है। जिला प्रशासन भी इसको लेकर अलर्ट मोड में है। इसमें आइसीडीएस की भी सक्रिय भूमिका रहती है। निचले स्तर पर आशा के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाता है।

वर्जन :

जेई-एईएस से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग मुस्तैद है। दिशा-निर्देशों के अनुूसार तैयारी की जा रही है। सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर भी इस बीमारी को लेकर विशेष इंतजाम किए गए हैं। व्यवस्था की लगातार पड़ताल की जा रही है। दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। आवश्यक प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं। स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

- डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण

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