छठ का खरना संपन्न, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज
मोतिहारी। चार दिवसीय लोक आस्था का चैती छठ के दूसरे दिन शनिवार को भक्ति भावना के साथ खरन
मोतिहारी। चार दिवसीय लोक आस्था का चैती छठ के दूसरे दिन शनिवार को भक्ति भावना के साथ खरना संपन्न हुआ। रविवार को व्रती तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ले इस बार भी सार्वजनिक स्थल के बदले आवासीय परिसर व घर की छतों पर पूजा का आयोजन हो रहा है। जिन घरों में छठ पूजा है वहां साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। चैत नवरात्र व छठ पर कोरोना संक्रमण का असर दिखा। बाजार से लेकर व्रत करने वाले घरों के लोग जैसे-तैसे पर्व को निपटाने में लगे। संक्रमण के कारण उत्साह में कमी हर तरफ दिख रही है। बच्चों को घरों से निकलने की आजादी नहीं है, तो उन पर भी इसका प्रभाव दिख रहा है।
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आंगन व छत पर बने तालाब में भी होगी छठ पूजा ऐसा कहा गया है कि स्वच्छ जगहों पर भगवान का वास होता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासन के निर्देश पर आवासीय परिसर व छतों पर छठ घाट बन गए हैं। ऐसे में नदियों व तालाबों में पानी की कमी व उसमें फैली गंदगी को लेकर व्रती घाटों पर जाने से कतराते हैं। प्रशासन के निर्देश को लेकर शहर के सैकड़ों घरों के छत व आवासीय परिसर में घर के बच्चे पूजा स्थल बनाने में जुटे है। इसको लेकर व्रती अपने दरवाजे या छत पर पानी एकत्र कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी। वहीं गोपालपुर, चांदमारी, श्रीकृष्ण नगर, अगरवा आदि मोहल्लों में अपने दरवाजे पर बने पोखरा के पास बच्चे पूजा के लिए सिरसोपता बनाते दिखे। वे पूजा की तैयारी को अंतिम रूप देने में लगे थे। ------------------------------- कोशी व ईख की ना मात्र दिखी दुकान जासं, मोतिहारी : छठ पूजा के दौरान कोशी का महत्व है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि छठ करने वाले सभी लोग कोशी भरे। ऐसी मान्यता है कि शुभ कार्य या मनोकामना पूर्ण होने पर लोग कोशी भरते हैं। कई लोग जोड़ा कोशी भरने की भी मन्नत मांगते हैं और पूरा होने पर भरते हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण शहर के एक-दो स्थलों पर कोशी व ईख की दुकानें दिखी। छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की दुकानें इक्का-दुक्का सजी हैं। सामानों के दाम भी आसमान पर है। शहर बलुआ, मीनाबाजार, जानपुल व छतौनी में एक-दो दुकानों पर पूजा सामग्री मिल रही है।
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भगवान भास्कर को गुड़ की खीर पसंद
फोटो 17 एमटीएच 22 जासं, मोतिहारी : चार दिवसीय छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा का अलग महत्व है। इस दिन व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रहती है। संध्या में भगवान भास्कर को अर्पित करने के लिए प्रसाद बनाती है। प्रसाद में गुड़ का खीर अनिवार्य रूप से सभी व्रत करने वाली व्रतियों द्वारा बनाई जाती है। गुड़ से बनने वाली खीर में साठी के चावल का भी महत्व है। व्रती केला के पत्तल पर रोटी, गुड़ की खीर, केला और अन्य फलों के साथ भगवान भास्कर को भोग लगाती है और पूजा अर्चना करती है। इसके बाद बारी-बारी से घर के सभी सदस्य पूजा में शामिल होते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। जिन लोगों के घरों में छठ व्रत नहीं होता उन्हें विशेष रूप से प्रसाद ग्रहण के लिए आमंत्रित किया जाता है।