लक्ष्मी एवं विष्णु की आराधना का विशेष पर्व है अक्षय तृतीया

मोतिहारी। श्री परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया का पुण्य पवित्र एवं अखंड कल्याणकारी पर्व 14 मई श्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 11:37 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 11:37 PM (IST)
लक्ष्मी एवं विष्णु की आराधना का विशेष पर्व है अक्षय तृतीया
लक्ष्मी एवं विष्णु की आराधना का विशेष पर्व है अक्षय तृतीया

मोतिहारी। श्री परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया का पुण्य पवित्र एवं अखंड कल्याणकारी पर्व 14 मई शुक्रवार को मनाया जाएगा। अक्षय का शाब्दिक अर्थ है जिसका क्षय नहीं हो। जो अक्षय, अविनाशी, अखंडित सदैव पूर्ण हो, स्थाई हो। प्रत्येक वर्ष में ऐसी एक ही तिथि है वैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया इसे ही अक्षय तृतीया या आखातीज कहते हैं। अक्षय तृतीया का दिन अति पवित्र माना गया है। इस दिन स्थायी और स्थिर कार्य प्रारंभ करना तथा सोना, चांदी व बहुमूल्य रत्न आदि संचित करना शुभफलदायक माना जाता है। उक्त बातें महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने कही। उन्होंने बताया कि यह पर्व लक्ष्मी एवं विष्णु की आराधना का विशेष पर्व है। इसका भी एक कारण है, जिस तरह सामाजिक व्यवस्था को संतुलित बनाए रखने के लिए धर्मार्थकाममोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की आवश्यकता है और एक दूसरे के पूरक भी हैं। इसी तरह विष्णु के साथ लक्ष्मी आती है तो आदरणीय, सौम्य रूप में आती है वरना लक्ष्मी तो चंचला हैं। अक्षय तृतीया की तिथि को ईश्वर तिथि भी कहते हैं। इसदिन सुहागिन महिलाएं व कन्याएं गौरी पूजा भी करती है। अक्षय तृतीया आत्म निरीक्षण व आत्म अवलोकन का भी दिन है। प्राचार्य पांडेय ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार विष्णु के आवेशावतार भगवान परशुराम का आविर्भाव वैशाख शुक्लपक्ष तृतीया को ही हुआ था। ये जमदग्नि ऋषि के पुत्र थे। इनकी माता का नाम रेणुका था। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का पूजन करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य दीर्घायु होता है।

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