जल, जंगल व जीवन की सुरक्षा को पर्यावरण संरक्षण जरूरी

मोतिहारी । विश्व प्रकृति दिवस पर जागृति सेवा फाउंडेशन ने अपने मिशन पौधा लगाएं जीवन बचाएं अभिय

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 11:07 PM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 11:07 PM (IST)
जल, जंगल व जीवन की सुरक्षा को पर्यावरण संरक्षण जरूरी
जल, जंगल व जीवन की सुरक्षा को पर्यावरण संरक्षण जरूरी

मोतिहारी । विश्व प्रकृति दिवस पर जागृति सेवा फाउंडेशन ने अपने मिशन पौधा लगाएं जीवन बचाएं अभियान के तहत मंगलवार को पौधा लगा कर पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प दोहराया। इस अवसर पर जागृति सेवा फाउंडेशन के तत्वाधान में संचालित महिला सेवा सशक्तिकरण मंच की अध्यक्ष प्रो. बबीता श्रीवास्तव, मधुरानी, पूनम श्रीवास्तव आदि ने मिलकर छायादार पौधा लगाकर पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया। प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि जल, जंगल व जमीन इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है। हमें विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर संकल्प के साथ इन्हें सुरक्षित रखने का संकल्प लेना होगा। वर्तमान में कई प्रजाति के जीव जंतु व वनस्पति विलुप्त हो रहे हैं। विश्व में सबसे समृद्ध देश वही हैं, जहां यह तीनों तत्व प्रचुर मात्रा में है। उन्होंने कहा कि भारत देश जंगल, वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व पर कहा कि पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ संबंध है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर ही कहा गया है कि पर्यावरण के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है, अन्यथा धरती का जीवन-चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा। उन्होंने आम लोगों से भी पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की है।

------------ पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं, जो काफी घातक है। प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव के रूप में जल, वायु तथा परिवेश का दूषित होना व वनस्पतियों का विनष्ट होना, मानुष्य का अनेक नये रोगों से आक्रांत होना आदि देखे जा रहे हैं। बड़े कारखानों से विषैला अपशिष्ट बाहर निकलने से तथा प्लास्टिक आदि के कचरे से प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ रही है। प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों का उपयोग कर हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते है। वहीें हम जैविक खाद के उपयोग, डिब्बा बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल, जलवायु को बेहतर बनाने की तकनीकों को बढ़ावा देकर भी इसे सुरक्षित कर सकते है।

मुन्ना गिरी

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विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति व नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्ण विजय प्राप्त करना चाहता है। इस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव प्राकृतिक संतुलन को उपेक्षा की ²ष्टि से देख रहा है। दूसरी ओर धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहां प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है। इससे आने वाला समय भयावह दिख रहा है। ऐसे में हमें इसकी सुरक्षा व संरक्षण का संकल्प लेना होगा, तभी मानव जीवन को इस धरा पर सुरक्षित किया जा सकता है।

सेराजुल, समाजसेवी।

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