रखरखाव में प्रक्रिया की पेच, दर्जनभर से अधिक एंबुलेंस बेकार

किसी भी स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सीय व्यवस्था में एंबुलेंस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एंबुलेंस की त्वरित एवं बेहतर सेवा से किसी मरीज की जान भी बचाई जा सकती है। सरकार ने भी स्वास्थ्य सेवाओं में एंबुलेंस को महत्व देते हुए इनके संचालन के लिए कई मानक तय किए हैं। उन मानकों एवं दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए एंबुलेंस का संचालन होना है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:30 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:30 PM (IST)
रखरखाव में प्रक्रिया की पेच, दर्जनभर से अधिक एंबुलेंस बेकार
रखरखाव में प्रक्रिया की पेच, दर्जनभर से अधिक एंबुलेंस बेकार

मोतिहारी । किसी भी स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सीय व्यवस्था में एंबुलेंस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एंबुलेंस की त्वरित एवं बेहतर सेवा से किसी मरीज की जान भी बचाई जा सकती है। सरकार ने भी स्वास्थ्य सेवाओं में एंबुलेंस को महत्व देते हुए इनके संचालन के लिए कई मानक तय किए हैं। उन मानकों एवं दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए एंबुलेंस का संचालन होना है। कोरोना काल में तो इनकी भूमिका एवं सक्रियता और भी बढ़ जाती है। कब कहां से कॉल आ जाए इसके लिए इन्हें हमेशा तैयार रहना पड़ता है। हालांकि सामान्य दिनों में भी आमतौर पर एंबुलेंस का उपयोग आपात स्थिति में ही होता है। ऐसे में इस व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखा जाना आवश्यक है। यहां बता दें कि जिले में संचालित 46 एंबुलेंस में से 13 सांसद, विधायक एवं अन्य संस्थानों द्वारा भेंट किए गए हैं। इनके अलावा मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत जिले में आठ एंबुलेंस मिले हैं।

जिले में 46 एंबुलेंस दे रहे हैं सेवा जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अधिकृत एजेंसी के माध्यम से एंबुलेंस का संचालन हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार जिले में 46 एंबुलेंस सेवा दे रहे हैं। यहां बता दें कि पूर्वी चंपारण जिले में 27 प्रखंड हैं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हैं। सभी पीएचसी में एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध है। इनके अलावा सदर अस्पताल एक बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है। लिहाजा यहां पर अधिक संख्या में एंबुलेंस की आवश्यकता होती है। फिलहाल सदर अस्पताल में पांच एंबुलेंस सेवा में हैं। जबकि मात्र एक शव वाहन है। हालांकि सदर अस्पताल के लिए अभी और एंबुलेंस एवं शव वाहन की आवश्यकता है। इस कमी के कारण कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं। एंबुलेंस संचालन के लिए तय हैं मानक सरकार ने भले ही एंबुलेंस संचालन की जिम्मेदारी एजेंसी को दे रखी है। मगर एंबुलेंस संचालन के लिए कुछ मानक भी तय किए गए हैं। प्रत्येक एंबुलेंस में तीन-तीन चालक एवं ईएमटी स्टाफ को रखना आवश्यक है। जबकि एंबुलेंस में जीवन रक्षक दवाओं के साथ ऑक्सीजन से भरा सिलेंडर रखने की भी अनिवार्यता है। इसके पीछे का मकसद यह है कि मरीज को अस्पताल तक लाने के दौरान अगर आवश्यकता हुई तो उन्हें एंबुलेंस में ही चिकित्सीय सुविधा मिल सके। इसके लिए ही ईएमटी स्टाफ की तैनाती की जाती है।

मानकों की अवहेलना के लगते रहे हैं आरोप

एंबुलेंस के संचालन के लिए तय मानकों की अवहेलना के आरोप आए दिन लगते रहे हैं। कहा जाता है कि किसी भी एंबुलेंस द्वारा दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके पीछे स्थानीय स्तर पर विभाग के कुछ लोगों की मिलीभगत के आरोप भी लगाए जाते हैं। इसके लिए जिला स्तर पर जांच कमेटी भी गठित की गई थी। हालांकि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा भी साप्ताहिक अनुश्रवण एवं मूल्यांकन का निर्देश दिया गया है।

सड़ गए दर्जन भर से अधिक एंबुलेंस

सदर अस्पताल परिसर में मलेरिया कार्यालय के पीछे एक दर्जन से अधिक खराब एंबुलेंस पड़े हुए हुए। वहां पर चारो ओर पानी ही पानी है। खराब सभी एंबुलेंस के अब ढांचा मात्र रह गए हैं। जहां तक इन्हें ठीक कराने की बात है तो इसके लिए भी कुछ गाडइ लाइंस हैं। अगर ये उस परिधि में आते हैं तो ठीक है अन्यथा इन्हें कबाड़ मान लिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार वैसे एंबुलेंस की ही मरम्मत कराई जाएगी जिन पर अधिकतम खर्च डेढ़ लाख तक आती हो। वहीं, वैसे एंबुलेंस जो छह वर्ष से अधिक के हो गए हों और उनकी मरम्मति में अधिक खर्च आ रहा हो तो उन्हें भी उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा।

वर्जन :

कोरोना की तीसरी लहर से मुकाबले के लिए हमारी तैयारी पूरी है। पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस भी उपलब्ध हैं। अभी 46 एंबुलेंस एक्टिव हैं। इनके अलावा मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के तहत आठ एंबुलेंस मिले हैं। जिला अस्पताल में पहले से एक शव वाहन था। अभी मोतिहारी के एक सामाजिक संगठन द्वारा एक वातानुकूलित शव वाहन दिया गया है। खराब पड़े एंबुलेंस अब उपयोग के लायक नहीं है। एमवीआई से भी रिपोर्ट मिल चुकी है। ऐसे एंबुलेंस की सूची तैयार की जा रही है।

अमित अचल डीपीएम

जिला स्वास्थ्य समिति, पूर्वी चंपारण

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