भारत के लिए एक राष्ट्र की अवधारणा सांस्कृतिक विविधता पर आधारित

मोतिहारी । महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रकोष्ठ द्वारा चाणक्य परिसर स्थित पंडित राजकुमार शुक्ल सभागार में शुक्रवार को प्रदेशानुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 11:03 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 11:03 PM (IST)
भारत के लिए एक राष्ट्र की अवधारणा सांस्कृतिक विविधता पर आधारित
भारत के लिए एक राष्ट्र की अवधारणा सांस्कृतिक विविधता पर आधारित

मोतिहारी । महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' प्रकोष्ठ द्वारा चाणक्य परिसर स्थित पंडित राजकुमार शुक्ल सभागार में शुक्रवार को 'प्रदेशानुभूति' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति ने कहा कि 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का प्रदेशानुभूति श्रृंखला कार्यक्रम केवल भौगोलिक दूरियों को जोड़ने का माध्यम नहीं है, अपितु भारतवर्ष की वैभवशाली परंपरा में अवगाहन करने तथा आत्म मूल्यांकन करने का मार्ग भी है। विराट संस्कृतियों की यह थाती हमारी शक्ति है। 'प्रदेशानुभूति' कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत शुक्रवार को 'हरियाणा' राज्य की विरासत एवं संस्कृति केंद्र में थी। इसकी सुंदर प्रस्तुति प्रो. राजेंद्र सिंह (अधिष्ठाता, मानविकी एवं भाषा संकाय एवं हिदी विभागाध्यक्ष) ने दी। प्रो. सिंह ने पीपीटी के माध्यम से हरियाणा राज्य की महान विरासत एवं संस्कृति से सबको जोड़ा। हरियाणा का समृद्ध इतिहास है। विविध जातियों, संस्कृतियों और धर्मों को संजोए इस राज्य ने अपनी सामाजिक लोक परंपराओं को संरक्षित किया है। स्वागत भाषण देते हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी प्रो. ऱफीक उल इस्लाम ने कार्यक्रम श्रृंखला के मूल उद्देश्य से सबको परिचित कराया। धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉ. रश्मि श्रीवास्तव तथा मंच संचालन अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बिमलेश कुमार ने किया। कार्यक्रम में डीएसडब्ल्यू प्रो. आनंद प्रकाश, प्रो. पवनेश कुमार, प्रो. प्रसून दत्त सिंह, प्रो. अजय कुमार गुप्ता, प्रो. प्रणवीर सिंह, प्रो. बृजेश पांडेय, 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव, डॉ. जुगल किशोर दधीचि, डॉ. प्रीति वाजपेयी, डॉ. दिनेश व्यास, डॉ. अलका लहाल, डॉ. श्वेता सिंह, डॉ. नरेंद्र सिंह, डॉ. विश्वेश वाग्मी, डॉ. उमेश पात्रा, डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ. भवनाथ पांडेय आदि उपस्थित रहे। मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी भी कार्यक्रम से ऑफलाइन एवं ऑनलाइन मोड में जुड़े रहे।

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