स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय भंडार में एंटीजन जांच किट का ब्योरा नहीं

मोतिहारी । कोरोना की एंटीजन जांच किट का स्वास्थ्य विभाग के जिले में स्थित केंद्रीय भंडार में कोई लेखा-जोखा नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 11:44 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 11:44 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय भंडार में  एंटीजन जांच किट का ब्योरा नहीं
स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय भंडार में एंटीजन जांच किट का ब्योरा नहीं

मोतिहारी । कोरोना की एंटीजन जांच किट का स्वास्थ्य विभाग के जिले में स्थित केंद्रीय भंडार में कोई लेखा-जोखा नहीं है। चर्चा है कि किट की जमकर कालाबाजारी की गई। अनाधिकृत रूप से निजी अस्पतालों को बेचा गया।

बताते हैं कि जुलाई 2020 में जिले को पहली बार एक हजार एंटीजन किट प्राप्त हुई थी। नियमानुसार किट बीएमएसआइसीएल से केंद्रीय स्टोर को मिली। यहां से इंडेंट के मुताबिक सभी जगहों पर किट का वितरण किया गया। उसके बाद अगस्त में भी केंद्रीय स्टोर को एंटीजन किट प्राप्त हुई थी। इसके बाद कतिपय कारणों से केंद्रीय स्टोर को किट मिलनी बंद हो गई। नोडल पदाधिकारी द्वारा सीएस से अनुमोदन लेकर सीधे इंडेंट बीएमएसआइसीएल को भेजा जाने लगा। किट भी सीधे नोडल पदाधिकारी के पास ही आती थी। यहां से वे अपने स्तर से मांग के मुताबिक किट का वितरण करते थे। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार किसी भी तरह की दवा अथवा जांच किट के भंडारण व वितरण की जवाबदेही केंद्रीय स्टोर की होती है। दवा को मंगाने के लिए केंद्रीय स्टोर द्वारा सिविल सर्जन के मा़र्फत बीएमएसआइसीएल को डिमांड भेजी जाती है। दवा उपलब्ध होने पर केंद्रीय स्टोर मांग के हिसाब से जिला मुख्यालय सहित प्रखंडो में दवा उपलब्ध कराई जाती है। जबकि एंटीजन किट के मामले में तमाम नियमों को ताक पर रखकर किट सीधे नोडल पदाधिकारी तक पहुंचने लगा। इतना ही नहीं बीएमएसआइसीएल को इंडेंट भी नोडल पदाधिकारी व जिला स्वास्थ्य समिति के एक पदाधिकारी भेजते थे। हालांकि, ऐसा तत्कालीन सिविल सर्जन से अनुमोदन लेने के बाद ही किया जाता था, जबकि किट भी सीधे नोडल पदाधिकारी को ही आपूर्ति की जाती थी। अब सवाल उठता है कि जब आमद व वितरण की सम्पूर्ण जवाबदेही केंद्रीय स्टोर की होती है तो आखिरकार क्या कारण रहा कि इस पूरे मामले में केंद्रीय स्टोर की भूमिका को बायपास कर दिया गया।

इनसेट

नोडल पदाधिकारी व केंद्रीय स्टोर प्रभारी में ठनी

मामले के तूल पकड़ने के बाद नोडल पदाधिकारी व केन्द्रीय स्टोर के प्रभारी पदाधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। एक तरफ जहां नोडल पदाधिकारी का कहना है कि भले ही किट सीधे उनको प्राप्त हुई, लेकिन किट के खर्च का ब्येरा वे लगातार केंद्रीय स्टोर को देते रहे। जबकि केंद्रीय स्टोर के प्रभारी इससे सीधे इन्कार करते हैं। उनकी मानें तो उनके पास सिर्फ उन्ही किट के लेखाजोखा उपलब्ध हैं, जिनकी आपूर्ति केन्द्रीय स्टोर को हुई थी। वर्जन :

तत्कालीन सिविल सर्जन ने ही ऐसा करने को बोला था। समान का उठाव जरूर उनके यहां हुआ, लेकिन आमद व वितरण का ब्यौरा वे लगातार केंद्रीय स्टोर को देते रहे हैं। अगर किट कहीं अनाधिकृत रूप से बेचा भी गया है तो इसकी जवाबदेही उनकी कैसे हो सकती है, जबकि किट का वितरण जिला से लेकर प्रखंडों तक किया जाता है।

डॉ सुनील कुमार, नोडल पदाधिकारी वर्जन

मेरी जवाबदेही सिर्फ उन्हीं स्टाक की होती है जो केंद्रीय स्टोर को प्राप्त होते हैं। अब तक जितने भी एंटीजन किट केंद्रीय स्टोर को प्राप्त हुए हैं उन सबका लेखा-जोखा उपलब्ध है। लेकिन जो किट सीधे नोडल पदाधिकारी को मिले हैं उनका केंद्रीय स्टोर में कोई भी लेखा-जोखा नहीं है। किन परिस्थितियों में केंद्रीय स्टोर की भूमिका को बायपास कर सीधे किट नोडल पदाधिकारी तक पहुंचने लगे इस बारे में भी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

डॉ अनिल कुमार वर्मा

केंद्रीय स्टोर प्रभारी पदाधिकारी। वर्शन 3: पहले क्या हुआ उस बारे में विशेष जानकारी नही है। अब निर्देश दिया गया है कि कोरोना किट के आमद व खर्च का विवरण केंद्रीय स्टोर में संधारित किया जाए।

डॉ अंजनी कुमार, सिविल सर्जन पूर्वी चंपारण।

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