स्वच्छ भारत का सपना लिए हरिद्धार से मेहसी पहुंचे लुईस

प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत का सपना साकार करने के लिए साइकिल से भारत यात्रा पर निकले हरिद्वार के 28 वर्षीय लुइस दास बुधवार को मेहसी पहुंचे। उन्होंने 30 अक्टूबर को पायलट बाबा आश्रम जगदीशपुर हरिद्वार से अपनी यात्रा आरम्भ की थी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Nov 2019 01:16 AM (IST) Updated:Thu, 21 Nov 2019 06:15 AM (IST)
स्वच्छ भारत का सपना लिए हरिद्धार से मेहसी पहुंचे लुईस
स्वच्छ भारत का सपना लिए हरिद्धार से मेहसी पहुंचे लुईस

मोतिहारी । प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत का सपना साकार करने के लिए साइकिल से भारत यात्रा पर निकले हरिद्वार के 28 वर्षीय लुइस दास बुधवार को मेहसी पहुंचे। उन्होंने 30 अक्टूबर को पायलट बाबा आश्रम जगदीशपुर हरिद्वार से अपनी यात्रा आरम्भ की थी। उत्तरप्रदेश के बिजनौर, बरेली, मुरादाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, कुशीनगर, गोपालगंज होते हुए पंद्रह सौ किलोमीटर की दूरी तय कर आज 21 वें दिन वे मेहसी पहुंचे। मूल रूप से मोड़ीगांव असम के रहने वाले लुइस अपने धर्मगुरु महामंडलेश्वर सिद्धार्थ गिरी की प्रेरणा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अभियान से प्रभावित होकर यात्रा आरम्भ की है। उनकी यात्रा 365 वें दिन पुन: हरिद्वार में सम्पन्न होगी। इस बीच वह सिलीगुड़ी के रास्ते भारत के उत्तर पूर्व, दक्षिण, जम्मू कश्मीर, हिमांचल आदि राज्यों में गंदगी के विरुद्ध लोगों के प्रेरणास्त्रोत बनेंगे। यात्रा के दौरान लुइस आम जनों को स्वच्छता का संदेश देते हुए स्कूल, कॉलेजों में भी छात्रों को स्वच्छता के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जहां जरूरत पड़ती है वे धरना भी देते है। उन्होंने गंदगी के विरुद्ध सीतापुर के डीएम के समक्ष धरना देकर लोगों को सफाई के लिए बाध्य कर दिया। दामोदरपुर स्थित विकास मिश्रा के आवास पर हुई मुलाकात में उन्होंने बताया कि स्वच्छता का सीधा सम्बन्ध हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। एक स्वच्छ शरीर में ही एक स्वस्थ मन का निवास होता है, आज से सौ वर्ष पहले महात्मा गांधी ने एक स्वच्छ भारत का सपना देखा था, जो आज साकार हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को स्वच्छ एवं स्वस्थ बनाना है। हम जानते हैं कि स्वच्छता का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है, परन्तु हमने इसका अर्थ सिर्फ स्वयं के शरीर की सफाई से लगा लिया है, यह गलत है। स्वच्छता को सिर्फ शरीर की सफाई तक सीमित कर हमने उसके अर्थ को संकीर्ण बना दिया है। जब तक हम झाडू व बाल्टी अपने हाथों में नहीं लेते तब तक अपने गांव व कस्बे को स्वच्छता का पाठ नही पढ़ा सकते। उन्होंने नारा दिया सोंच बदले गंदगी मुक्त भारत का स्वयं निर्माण होगा।

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