प्रयोग को छोड़िए, उपकरणों से भी अनभिज्ञ हैं विद्यार्थी

मोतिहारी। मैट्रिक एवं इंटर के छात्र-छात्राओं के लिए सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक शिक्षा की व्यवस्था सरकार के स्तर से की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 10:59 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 10:59 PM (IST)
प्रयोग को छोड़िए, उपकरणों से भी अनभिज्ञ हैं विद्यार्थी
प्रयोग को छोड़िए, उपकरणों से भी अनभिज्ञ हैं विद्यार्थी

मोतिहारी। मैट्रिक एवं इंटर के छात्र-छात्राओं के लिए सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक शिक्षा की व्यवस्था सरकार के स्तर से की गई है। संबंधित विद्यालयों में प्रयोगशाला की व्यवस्था को अनिवार्य किया गया है। आवश्यक उपकरणों एवं सामग्रियों के लिए राशि भी उपलब्ध कराई गई है। बावजूद इसके प्रयोगशाला से बच्चे दूर हैं। प्रयोग करना तो दूर की बात है उन्होंने उपकरणों को भी नहीं देखा है। अब सवाल उठता है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक व इंटर की वार्षिक प्रायोगिक परीक्षा में ये कैसे सफल होंगे। मगर चिता की कोई बात नहीं, यहां किसी तरह की कोई समस्या नहीं है। सभी बच्चे पास हो ही जाते हैं। अगर बिना प्रैक्टिकल किए जब वे पास हो जाते हैं, तब प्रयोगशाला में अलग से वर्जिश करने की जरूरत क्या है। शायद इसी अवधारणा पर अब तक काम चल रहा है। यह समस्या किसी एक विद्यालय की नहीं है। जिले के करीब-करीब सभी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के बच्चे प्रयोग एवं प्रयोगशाला से अनजान हैं। मगर यह स्थिति ठीक नहीं है। इन्हीें बच्चों में से कोई बड़ा वैज्ञानिक भी हो सकता है। इस तरह की व्यवस्था से जाने अनजाने उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। बुनियाद को ही कमजोर किया जा रहा है। शनिवार को दैनिक जागरण की टीम ने मोतिहारी के एमजेके ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज में प्रयोगशाला की व्यवस्था का जायजा लिया। यह शहर का चर्चित स्कूल है। उम्मीद थी कि यहां कुछ बेहतर स्थिति होगी। मगर यहां भी निराशाजनक स्थिति सामने आई। कक्षा नौ एवं 11 की कुछ छात्राओं से भी बातचीत हुई। मगर छात्राएं प्रयोगशाला की व्यवस्था से अनजान थीं। कक्षा नौ की रूपा कुमारी, मुस्कान कुमारी, मनीषा कुमारी, सुप्रिया कुमारी आदि छात्राओं ने बताया कि वर्ग कक्ष में पढ़ाई तो होती है, मगर प्रयोगशाला को नहीं देखा। कुछ इसी तरह का जवाब कक्षा 11 की छात्रा खुशी कुमारी, सलोनी कुमारी एवं आराध्या कुमारी का भी था। परिसर में अच्छी-खासी संख्या में छात्राएं नजर आईं। परिसर भी साफ-सुथरा था। छात्राएं स्कूल यूनिफार्म में थीं। लेकिन उनकी पहुंच अब तक प्रयोगशाला तक नहीं हो सकी है। जानकारी मिली कि विद्यालय में माध्यमिक कक्षाओं के लिए तीन तथा प्लस टू के लिए छह विज्ञान के शिक्षक हैं। लेकिन प्रयोगशाला सहायक नहीं हैं। बल्कि विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक का पद ही सृजित नहीं है। जबकि कक्षा नौ में 650 तथा दस में 730 छात्राएं हैं। वहीं, कक्षा 11 में विज्ञान की छात्राओं की संख्या 223 तथा 12 में 182 है। यह भी बताया गया कि प्रयोगशाला में आवश्यक उपकरण एवं अन्य सामग्री भी उपलब्ध हैं। फिर प्रयोगशाला के उपयोग में अड़चन क्या है। इसका संतोषजनक उत्तर किसी के पास नहीं था।

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फोटो : 27 एमटीएच 10 कोरोना के कारण लंबे समय तक विद्यालय बंद था। इसका शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है। अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। व्यवस्था भी पटरी पर आने लगी है। नियमित रूप से कक्षा संचालन हो रहा है। प्रयोगशाला को भी उपयोग के लिए तैयार कर लिया गया है। वहां सामग्रियों की भी कमी नहीं है।

- रामबाबू शर्मा, प्राचार्य

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विज्ञान की छात्राओं को प्रयोग से संबंधित बेसिक जानकारी दी जा रही है। प्रयोगशाला की व्यवस्था भी ठीक कर ली गई है। उपकरण के साथ-साथ अन्य सामग्री भी उपलब्ध हैं। रूटीन भी तैयार कर लिया गया है। इस बात की कोशिश की जा रही है कि प्रयोगशाला का लाभ संबंधित सभी छात्राओं को मिले।

- जितेंद्र कुमार चौधरी, विज्ञान शिक्षक

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माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला का निश्चित रूप उपयोग हो इसके लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। संबंधित विद्यालय प्रधानों को निर्देश दिया गया है कि बच्चे प्रयोगशाला का उपयोग नियमित रूप से करें यह सुनिश्चित किया जाए। अगर प्रयोगशाला सहायक नहीं हों तो किसी एक शिक्षक को इसके लिए नामित किया जाए। इस व्यवस्था को सु²ढ़ करने के लिए प्रधानाध्यापकों की बैठक 30 नवंबर एवं एक दिसंबर को बुलाई गई है।

- संजय कुमार

जिला शिक्षा पदाधिकारी

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