भारत को जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी : कुलपति

मोतिहारी । महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं संस्कृत शिक्षण विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 11:36 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 11:36 PM (IST)
भारत को जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी : कुलपति
भारत को जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी : कुलपति

मोतिहारी । महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं संस्कृत शिक्षण विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत विभागीय शोध छात्रा सुप्रभा डे के द्वारा मंगलाचरण एवं अथितियों के संक्षिप्त परिचय के साथ किया गया। निदेशक शिक्षा विभाग के अध्यक्ष सह शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. आशीष श्रीवास्तव द्वारा विषय प्रवर्तन किया गया। वेबिनार के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति (आंध्र प्रदेश) के कुलपति प्रो. वी मुरलीधर शर्मा द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं संस्कृत शिक्षण पर विस्तारपूर्वक सारस्वत व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में संस्कृत शिक्षण को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान मिला है। इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों को आगे आना चाहिए। इस दिशा में अभिनव प्रयोग करने की आवश्यकता है, ताकि संस्कृत विषय के अस्तित्व की रक्षा हो सके तथा इस विषय के विकास को गति मिल सके। इस अभिनव प्रयोग की श्रृंखला में तिरुपति के बाल केंद्रों में संस्कृत शिक्षण को सुव्यवस्थित प्रारूप में बनाकर उसे क्रियान्वित किया गया है। इससे छात्रों की इस विषय में रूचि बढ़ी है।

कार्यक्रम के संरक्षक महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा द्वारा संस्कृत विषय की महत्ता का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि यदि भारत को जानना है तो इसके लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान अति आवश्यक है। जो इस भाषा को नहीं जानता, वह भारत देश की संस्कृति से अवगत नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि संस्कृत को कर्मकांड की भाषा से अलग करके ज्ञान-विज्ञान की भाषा के रूप में प्रयोग करने की आवश्यकता है। इस क्रम में नव नालंदा महाविहार में संस्कृत के विभागाध्यक्ष आचार्य विजय कुमार कर्ण ने अपने व्याख्यान में कहा कि कोई भी भाषा नई या पुरानी नहीं होती है, बल्कि अज्ञात से ज्ञात की तरह होती है। एक भारत, श्रेष्ठ भारत का सूत्र वाक्य संस्कृत भाषा की ही देन है। संस्कृत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने संस्कृत को लोक और परलोक दोनों के लिए महत्वपूर्ण बताया। साथ ही यह भी कहा कि प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय को नए विश्वविद्यालयों के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है।

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय जयपुर (राजस्थान) में शिक्षा शास्त्र के सह आचार्य डॉ. शीशराम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने संस्कृत शिक्षण के उत्थान में चटर्जी आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। कहा- संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए। संस्कृत को आनंद पूर्वक पढ़ाया जाए। संस्कृत भाषा को मानक रूप में स्थापित की जाए, जिससे अन्य मानक भाषा की तरह इसका भी स्थान वैश्विक पटल पर बन सके। धन्यवाद ज्ञापन विभाग की सहायक आचार्या डॉ. मनीषा रानी के द्वारा किया गया। इस राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के भिन्न-भिन्न संस्थानों से 160 से भी अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।

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